छत्रियो से लेकर कान्ह नदी और विशाल इमारतो की ड्राइंग और मॉडल तक प्रदर्शनी में आई पी एस और वैष्णव विद्यापीठ के आर्किटेक्ट छात्रों का संयुक्त आयोजन

इंदौर । बड़ी सी सफेद शीट पर पेंसिल से बनाई ड्राईंग सभी को आकर्षित कर रही थी। ये ड्राईंग शहर के गौरव
राजवाडा से लेकर कृष्णपुरा छत्री, मैट्रो ट्रेन, कान्ह नदी, हाइराइज बिलडिंग, पार्क, सड़क, ड्रेनेज सिस्टम, प्रधान मंत्री आवास विहार, टाउनशिप और शॉपिंग माल की थी। ऐसी एक नही सैकडों डिजाइन थी जिन्हे आई पी एस और वैष्णव विधापीठ में आर्किटेक्ट इंजीनीयर की पढाई कर रहे छात्रों ने बड़ी मेहनत से बनाया था। साथ मे शहर के बड़ी टाउनशिप, शॉपिंग माल और मंदिरों के सुंदर और आकर्षक मॉडल भी थे।यह आयोजन बीसीसी हाल में हुआ था।

प्राचार्य डॉ. मनिता सक्सेना कहती है इमारत से लेकर टाउनशिप निर्माण में एक आर्किटेक्ट की महती भूमिका होती है। आर्किटेक्ट बनना आसान भी नहीं है। खूब पढाई करना पढ़ती है।
इंटीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स लोकल इंदौर के अध्यक्ष इंजिनियर आर पी गौतम कहते है शहर में इंजिनियर कॉलेज तो बहुत है, लेकिन जहाँ आर्किटेक्ट की पढाई होती है ऐसे कॉलेज एक हाथ की उंगलियों जितने भी नहीं है। देश में आज भी आर्किटेक्ट की कमी है।
असिटेंस प्रोफेसर अनुज्ञा शरण और प्रतीक अहिरवार ने बताया कि कुछ लोग ही आर्किटेक्ट की सेवाएं लेते हैं जो गलत है। एक भवन में दिन में अधिक बिजली की खपत इसलिए अधिक होती है क्योंकि उसके निर्माण में आर्किटेक्ट की सेवाएं नही ली गई। भवन मे अच्छा वेंटीलेशन हो और अधिक से अधिक सूर्य का प्रकाश आये इसकी गहरी समझ एक आर्किटेक्ट को अधिक होती है।
वैष्णव विधापीठ के आर्किटेक्ट विशाल यार्दी कहते है सभी विधार्थियो ने बड़े परिश्रम से इन डिजाइन को बनाया है और कंप्यूटर पर प्रिंट निकाले। छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा, तब जाकर इसमें फिनिशिंग आई। आर्किटेक्ट और इंजीनियर्स दोनों मिलकर के काम करते है तो उसका रिजल्ट बहुत अच्छा आता है। प्रोफेसर वैशाली शर्मा और रुचिका शर्मा ने भी छात्रों गाइड किया आर्किटेक्ट प्रियंका अग्रवाल कहती है इस प्रदर्शनी को सेकड़ो आर्किटेक्ट और इंजिनियर ने देखा और तारीफ की।
कौंसिल ऑफ आर्किटेक्ट के प्रेसिडेंट डॉ, अभय पुरोहित ने कहा कि जब तक आर्किटेक्ट इंजिनियर अपने काम मे अनुशासन नहीं लाएँगे तब तक उनका काम या कंसलटेंसी को विशेष पहचान नही मिलेंगी। आर्किटेक्ट और इंजिनियर दोनों को मिलकर के ही काम करना होगा।
आर्किटेक्ट वी, सुरेश ने कहा है कि देश मे अगले 40 वर्षो मे कई प्रोजेक्ट आना है ,इसलिए काम की कोई कमी नही रहेगी। विदेश मे तीन चार हजार व्यक्ति पर एक आर्किटेक्ट है, जबकि भारत मे यह आंकडा करीब एक लाख पर एक हैं। अत देश मे आर्किटेक्ट की कमी है। डॉ. शिल्पा त्रिपाठी ने बताया कि प्रदर्शनी मे स्मारिका का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर इंजिनियर विवेक तिवारी, कामिनी वड्नोरे, आर पी गौतम विशेष रूप से उपस्थित थे।

  • Praveen joshi

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