जैन समाज के मंदिर और समाज किसी के घर की जागीर नहीं है. जैन मंदिर के ट्रस्टी, मंदिर और समाज के मालिक नहीं है. उनको जैसे चाहे वैसे मनमानी करने दें.! जैन मंदिरों के ट्रस्टी सिर्फ मंदिर के देखभाल के लिए होते है. उन्हें देखभाल ही करना चाहिए, मालिक नहीं बनने चाहिए. मंदिर के देखभाल के लिए समाज का पैसा लगा हुवा है. अगर उनसे ठीक से देख भाल नहीं होती है, तो ऐसे ट्रस्टी पद छोड़कर अपने घर जाए. परन्तु कुछ जैन समाज के ट्रस्टी, मंदिर और समाज के ठेकेदार बनके बैठे है, उनको जैसा चाहिए ,वैसे काम कर रहे है. मंदिर और समाज के किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय समाज को पूछकर ही लेना चाहिए. ये मंदिर और जैन समाज किसी के बाप की जागीर नहीं है ! चार लोग बैठकर गलत निर्णय ले और समाज बकरी की तरह अपना मुंडी हिलादे. ऐसा नहीं चलेगा..! मंदिर में पूरा समाज का पैसा लगा हुवा रहता है. क़ोई पैसे ज्यादा देता है, क़ोई कम देता है, क़ोई देता भी नहीं, परन्तु मंदिर पर, पूरे समाज का, गरीब हो या श्रीमंत, सबका समान हक़ होता है. समाज मंदिर के लिए पैसा दे रही है तो, मंदिर का देख भाल अच्छी तरह से होना चाहिए. एक एक रूपए का हिसाब ट्रस्टी समाज को देना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है, ट्रस्टी अपनी मनमानी करते है, समाज के पैसों का हिसाब नहीं देते है तो, ट्रस्टीयों को क़ोई अधिकार नहीं है! उस पद पर बैठने का. कई मंदिरों में ट्रस्टी मंदिर के पैसों से अपना व्यापार कर रहे है, ऐसे ट्रस्टीयों कों पहिले घर भेज देना चाहिए. समाज जागरूक होना चाहिए. समाज में कुछ गलतियां हो रही है तो, उन गलतियों का पूरा विरोध होना चाहिए.!
ट्रस्टीयों का कार्यकाल सीमित हो. हर साल ट्रस्टी पूरा समाज के सामने पैसों का हिसाब रख देना चाहिए. ऐसे ट्रस्टीयों कों ट्रस्टी नहीं बनाना चाहिए, जिनका पास जिन शासन के भविष्य के (संरक्षण और विकास) लिए क़ोई योजना ना हो. वर्तमान में ज्यादातर मंदिरों में, तीर्थ क्षेत्रों में पैसे वाले ,विवेकहीन लोग ट्रस्टी बन के बैठे है. ना तो उनके पास जैन धर्म के संरक्षण और विकास लिए क़ोई योजना है, ना उद्देश है, बस पैसे के दम पर ट्रस्टी बन के जिन शासन की हानि कर रहे है. ऐसे पाखंडियों कों पहिले घर भेज देने का इंतजाम समाज कों करना चाहिए. वर्तमान में यही पुण्य का काम है.
कार्यक्षम युवाओं कों, समाज कों हाथ में लेना चाहिए, वर्तमान में जैन धर्म विचित्र संकट से जूझ रहा है. जैन धर्म कों बचाना बहुत जरूरी है. भारत की संस्कृति और विश्व की मानव सभ्यता कों बचाना है तो जैन धर्म कों बचाना बहुत जरूरी है. देश और विश्व में हो रही हिंसा कों कम करना है तो पहिले जैन धर्म कों बचाओ और बढ़ाओ . शांति और अहिंसा सिर्फ जैन धर्म से मुमकिन है…!
By – महेश जैन. International Jain Revolution Forum