श्रेयांसगिरि में धूमधाम से मनायी आचार्य विमल सागर जी की 108 वीं जन्म जयंती
ग्रामवासियों ने शोभायात्रा की अगवानी कर महामुनिराज की आरती उतारी
(राजेश रागी/रत्नेश जैन बकस्वाहा)
पन्ना। श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्रेयांसगिरी में रविवार को परमपूज्य भारत गौरव, राष्ट्रसंत, गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज ससंघ 29 पिच्छी के पावन सानिध्य एवं हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पूज्य गुरुणाम् गुरु वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महामुनिराज की 108 वीं जन्म जयंती महामहोत्सव का
आयोजन बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ।
इस पावन अवसर पर श्रेयांशगिरि से नचने ग्राम तक भव्य शोभा यात्रा संपन्न हुई, जिसमें सौभाग्यवती महिलाओं ने मंगल कलश, ध्वज, डांडिया नृत्य, आदि के द्वारा यात्रा की शोभा बढ़ाई तथा नचने ग्राम वासियों ने बड़ी श्रद्धापूर्वक घर-घर में रंगोली एवं दीपक आदि सजाकर शोभायात्रा की अगवानी की। सलेहा समाज के द्वारा संपूर्ण नचने वासियों के मिष्ठान एवं फल वितरण कर विमल बाबा का प्रसाद प्रदान किया गया।
भरत सेठ ने बताया कि शोभायात्रा प्रवचन प्रांगण पहुंचने के उपरांत संपूर्ण अंचल समाज के विशिष्ट प्रतिनिधियों द्वारा द्वय गुरुओं का चित्र अनावरण
एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया तथा पूज्य आचार्य विमल सागर जी की प्रतिमा के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य पवल जैन गुनौर व पूज्य गणाचार्यश्री के पाद प्रक्षालन सुनील जैन पवई को प्राप्त हुआ।
पूज्य गणाचार्यश्री ने गुरुदेव का स्मरण करते हुए अपने प्रवचनों में बताया कि आचार्य गुरुदेव श्री विमल सागर जी महाराज एक महान तपस्वी, साधक एवं वात्सल्य के धनी थे , रात्रि के 11 बजे से प्रातः काल तक अखंड ध्यान साधना उनकी प्रतिदिन की स्वाभाविक तपस्या थी यद्यपि ऐसी कठोर तपस्या गुरुदेव केवल आत्म कल्याण के लिए करते थे परंतु उनकी तपस्या का ऐसा अलौकिक प्रभाव था कि जो महाराज बोल दें वैसा ही होता था। लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर जाते थे और महाराज के आशीर्वाद से उनके असंभव कार्य भी संभव हो जाते। पूज्य आचार्य महाराज जितने चमत्कारी थे उतने ही अधिक सहज भी थे। मैंने देखा वे बात्सल्य की साक्षात प्रतिमूर्ति थे, यही कारण है कि सारी दुनिया आज भी उनके लिए बड़ी श्रद्धा से स्मरण करती है। बतलाते है महाराज का निमित्त ज्ञान भी अद्वितीय था जिसके द्वारा भी बैठे-बैठे ही हजारों कोषों दूर की बातें जान लेते थे, आज हम ऐसे परम उपकारी चमत्कारी गुरुदेव की 108 वीं जन्म जयंती मना रहे हैं। निश्चित ही उनकी कृपादृष्टि आज भी संपूर्ण अंचल पर बनी हुई है।
इस पावन अवसर पर पथरिया से अनिल जैन कुबेर, रवि बाशा , विरागोदय सक्रिय महिला मंडल रश्मि जैन, अनामिका जैन , सावदा जिला जलगांव महाराष्ट्र में विराजमान श्रमण मुनि श्री 108 विशेष सागर जी मुनिराज के यहां से डॉ दीपक जैन, विमलेश जैन, देवेंद्र जैन ,नरेंद्र जैन, विराग बालिका मंडल हरदुआ, विराग युवा मंच सलेहा, सुरेंद्र कुमार कल्लू देवेंद्रनगर, चक्रेश गुनौर, नरेंद्र गुनौर, प्रबल गुनौर, संजय सलेहा, सुकुमाल जैन गुनौर, इंद्रेश सलेहा, विकास गुल्ले, पिंटू जैन प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश रागी/ रत्नेश जैन बकस्वाहा