विषाद से प्रसाद की यात्रा है गीता – डॉ, निशा जोशी
इंदौर। योग गंगा, यौगिक, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक अनुसंधान की संस्थापक निदेशक डॉ. निशा जोशी ने बैबाकी से कहा कि गीता को केवल हम श्रवण ही नहीं करे, बल्कि उसे अपने अंतर्मन मे भी उतारे और उसके मर्म को समझे। गीता हमें विषाद से प्रसाद की यात्रा कराती है और पलायन से पुरुषार्थ का रास्ता दिखाती है।
वे शालीमार टाउनशिप मे गीता परिवार द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता बतोर बोल रही थी।
गीता मर्मज्ञ डॉ. निशा जोशी ने गीता के संपूर्ण ग्रंथ को विस्तार से रेखांकित करते हुए आगे कहा कि गीता उपदेश में अर्जुन तो निमित मात्र है, योगेश्वर श्रीकृष्ण ने यह ज्ञान तो कलयुग के लिए ही दिया था। द्वापर युग मे शत्रु दुर्योधन आदि थे ,लेकिन आज तो वे शत्रु लोभ, मोह, क्रोध सहित कई है। द्वापर युग मे अर्जुन को किकर्तव्यमूढ़ भाव से श्रीकृष्ण ने ही बचाया। आज भी यह हमें कई तरह के द्वंद से बचा रही है। गीता हमें तनाव से भी बचाती और स्वालंबन सहित धर्म का भी पाठ पढ़ाती है।
योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा कि मनुष्य का धर्म है बगेर अपेक्षा के कर्म करना क्योकि अपेक्षा दुख का कारण है। निष्काम भाव से किये गए कर्म मनुष्य को सफलता दिलाते है।
कार्यक्रम सयोजक मंजूषा राघव ने बताया कि गीता परिवार का दायरा बड़ा व्यापक है। आज इसकी 180 देशों मे आनलाइन कक्षाएँ चल रही है और वह भी 13 भाषाओं मे। सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक लगातार इसकी कक्षाएं संचालित होती है। इस संस्था के प्रमुख श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के उपाध्यक्ष गोविंद गिरिजी है।
News – Praveen Joshi