इन्दौर को तत्वत्रयी प्रतिष्ठा का आमंत्रण प्राप्त


इन्दौर – राजस्थान के मारवाड़ में जोधपुर के मोदरा-रोड़ स्टेशन से 22 मील दूर 1267 वर्ष अतिप्राचीन जैन तीर्थ भूमि भाण्डवा जिसे वर्तमान में भाण्डवपुर के नाम से जाना जाता है, जहां भगवान महावीर की प्रतिमा विराजित है और कालांतर में त्रिस्तुतिक नायक विश्वपूज्य प्रातः स्मरणीय गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. एवं अ.भा. श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद के संस्थापक यतीन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने इस तीर्थ का जिर्णोद्धार किया, यह तीर्थ भूमि राष्ट्रसंत पूण्य सम्राट जयंतसेन सूरीश्वरजी म.सा. के दिल के सबसे नजदीक की मानी जाती थी, जहां 2016 में उनका अंतिम संस्कार भी किया गया ।

पिछले 17 वर्ष से इस तीर्थ का तीसरी बार जिर्णोद्धार चल रहा था जो इस वर्ष फ़रवरी माह में पूर्ण होगा, जिसकी मुख्य प्रतिष्ठा 19 फ़रवरी 2024 को सम्पन्न होगी, जहां परमात्मा महावीर के साथ गुरुदेव राजेन्द्रसूरीश्वरजी का भव्य मंदिर व पुण्य सम्राट जयंतसेन सूरिश्वरजी एवं प.पू. योगीराज शांति विजयजी म.सा. के समाधी मंदिर की भी प्रतिष्ठा वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य देवेश श्रीमद्विजय जयरत्न सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में हजारों की जनमेदनी के बीच होगी, उपरोक्त आयोजन के निमंत्रण का कार्य मालवा के सभी संघों में 14 जनवरी से शुरू हुआ जिसका अंत रविवार को इन्दौर में हुआ, इन्दौर के कुंअर मण्डली में त्रिस्तुतिक श्रीसंघ एवं परिषद् को आमंत्रण देने नवयुवक परिषद् मध्य प्रदेश के अध्यक्ष मोहित तांतेड़, त्रिस्तुतिक श्रीसंघ म.प्र. के महामंत्री नीरज सुराणा, महिला परिषद् राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राखी रांका, राष्ट्रीय पदाधिकारी धरमचंद बोहरा, नरेंद्र भटेवरा, नरेंद्र सुराणा, दिनेश मेहता, विजया मोदी, विनिता बांठिया, सुषमा सुराणा आदि अतिथि पधारें जिसे श्रीसंघ एवं परिषद् के साथियों ने ढोल धमाके से बधाया और मंदिर में सभी ने परमात्मा के समझ पत्रिका अर्पित की व सभी से 16 दिवसीय आयोजन में पधारने का अनुरोध किया । अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ उपाध्यक्ष धनराज संघवी व परिषद् अध्यक्ष जैन नरेंद्र राठौर ने किया । इस अवसर पर अनेक समाजजन उपस्थित थे । आभार श्रीसंघ के महेंद्र बागवाला ने माना । कार्यक्रम का सफ़ल संचालन त्रिस्तुतीक श्री संघ इंदौर के सचिव अनिल सकलेचा ने किया । उक्त आशय की जानकारी परिषद् सचिव शैलेन्द्र सुराणा ने दी ।

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