गांधीजी – श्रमण सनातनी संत
एक विनम्र श्रद्धांजलि

· महात्मा गांधीजी के जीवन पर धर्म का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। बैरिस्टर बनने के बाद बम्बई में रहते समय उन पर श्रीमद् रायचंदजी के जैन धर्म के सिद्धांतों का विशेष कर अहिंसा, अपरिग्रह, संयम और सत्य का बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने इन सिद्धांतों का जीवन भर पालन किया। गांधी का दर्शन लियो टॉलस्टॉय, जान रस्किन और बुद्ध आदि के दर्शन का सार है| अहिंसा और सत्य के प्रति उनके प्रयोग विश्व के लिए प्रेरणादायी हैं। गांधी के अनुसार अहिंसा के रास्ते पर वही चल सकता है, जो मानवीय संवेदनाओं और सत्य में जीता है।
· इस अधनंगे फकीर ने राम, बुद्ध, महावीर ,नानक और कबीर की जीवन शैली अपना ली। वे टैगोर का ” एकला चालो रे ” गीत हमेशा गुनगुनाते थे। अंग्रेज उनसे घबराते थे । उनका सिद्धांत था डरो मत और किसी से नफरत मत करो।
· गांधीजी से दुनिया के सभी वर्ग के लोग बहुत प्रभावित हुए। राजा महाराजा ,उद्योगपति, कलाकार , साहित्यकार, वैज्ञानिक, शिक्षक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, धर्मगुरु और किसान , मजदूर सभी । मेरा ऐसा मानना है कि ईसा मसीह के बाद सबसे ज्यादा दुनिया को गांधीजी ने ही प्रभावित किया।
· जमनालाल बजाज, पंडित नेहरू, सरदार पटेल , राजाजी , मौलाना आजाद , रविंद्र नाथ टैगोर, खान अब्दुल गफ्फार खान, मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, टाटा, बिरला बंधु, और दुनिया के कई बड़ी हस्तियों को गांधीजी ने प्रेरित किया। कई यूरोपीय विद्वान एवं राजनेता भी उनसे बहुत प्रभावित हुए।
· गांधीजी ने लंदन में जॉर्ज बर्नाड शॉ ,चार्ली चैप्लिन, हैरोल्ड लॉस्की, मारिया मांटेसरी आदि को बहुत प्रभावित किया और वे लोग गांधीजी से मिले और उनके कार्य को समर्थन किया। पूरे यूरोप की जनता पर गांधी के अहिंसा , प्रेम और सत्य का गहरा प्रभाव पड़ा।
· कई कुलीन और संपन्न महिलाओं ने भी गांधीजी से प्रभावित होकर उनके विचारों को अपनाया तथा उनके साथ रही – मेडेलिन उर्फ मीराबेन ,मनु गांधी, टैगोर की भतीजी सरला देवी , आभा गांधी, राजकुमारी अमृत कौर, डॉ सुशीला नय्यर। इन सभी ने सादा जीवन जिया और आजादी के आंदोलन में सक्रिय भाग लिया।
· गांधीजी ने अंग्रेजों की गोलियों की बौछार का सामना ईश्वर की प्रार्थना के सहारे जन साधारण को संगठित कर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जड़ें हिला दी। गांधीजी ने कभी कोई हिंसा नहीं की फिर भी उन्हें 12 बार से अधिक कुल 2,338 दिन जेल में बिताने पड़े पर कभी माफी नहीं मांगी, अपनी बात से कभी पीछे नहीं हटे। गांधीजी ने 18 बार अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनशन किए इसमें कई बार आमरण अनशन भी है। जिनमें 1933 का पुणे में 21 दिन का यरवदा जेल में तथा राजकोट में किया गया अनशन प्रमुख है ।
· नेताजी बोस गांधीजी को पिता तुल्य आदर देते थे। उन्होंने ने उन्हें राष्ट्र पिता का नाम दिया।
· राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा इतिहास या वर्तमान में से किसी के साथ भोजन करने की इच्छा है तो वो महात्मा गांधी ही है।
· हो ची मिन्ह ने भी माना की हम गांधी के शिष्य है।
· मार्टिन लूथर किंग मानते थे गांधी हमारे आस पास है क्यों कि गांधी व्यक्ति नहीं विचार थे |
· सीजर चावेस अमेरिकी नागरिक आंदोलन के प्रमुख नायक थे वे गांधी के अहिंसात्मक आंदोलन से बहुत प्रभावित थे
· मार्टिन सुआरेज अमेरिका के जाने माने राजनीतिक विचारक ने मानवीय सभ्यता को संवारने वाले महानायकों में गांधी को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला व्यक्ति माना |
· गांधीजी दो बार इंदौर आए 28 मार्च 1918 और 20 अप्रैल 1935 को । वे हमेशा रेल के तीसरे दर्जे में सफर करते थे।
· कवि दुष्यंत कुमार ने गांधीजी के जन्म दिन पर लिखा कि ” चाहे इस प्रार्थना सभा में, तुम मुझ पर गोलियां चलाओ , मैं मर जाऊंगा लेकिन मैं फिर जनम लूंगा।
· महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा, सहिष्णुता और शांति के दृष्टिकोण से भारत और दुनिया को प्रभावित किया।
· उनकी हत्या पर पूरी दुनिया शोक में डूब गई। सबसे कायर आदमी ने उस सुरक्षा नहीं रखने वाले निहत्ये फकीर की प्रार्थना सभा में जाते समय शरीर गोली से छलनी कर दिया । लॉर्ड माउंटबेटन ने उनकी हत्या पर कहा की ” ऐसी बर्बरता तो नरभक्षी कबीलों में भी नहीं होती है। “.
· विश्व के सभी देशों की लाइब्रेरी में उनके सिद्धांतों को पढ़ा जाता है। कई भाषाओं में उन पर सबसे अधिक किताबें लिखी गई। सारी दुनिया में उनके स्मारक है। दुनिया के कई एयरपोर्ट या पार्लियामेंट के बाहर गांधीजी के स्टेच्यू मौजूद है जो हमें अहिंसा और सत्य को संदेश देते हैं। 100 से अधिक देशों ने उन पर डाक टिकट जारी किए।
· गांधी को मिटाने की कोई भी कोशिश कभी सफल नहीं होगी । क्यों कि गांधी जी के सत्य , अहिंसा और सविनय अवज्ञा आंदोलन को पूरी दुनिया मानती है।
· आज हैरानी और दुःख की बात है कि कुछ लोग गांधीजी के महान आदर्शों और योगदान को नकार कर उनका चरित्र हनन कर उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमा मंडन कर रहे हैं।
· प्रत्येक व्यक्ति को गांधीजी के विचारों को पढ़ना चाहिए और अहिंसा के सिद्धांत को जीवन में अपनाना चाहिए।
ऐसे संत को नमन।
· डॉ श्रेणिक बण्डी
प्राध्यापक एवं चिंतक