भवसागर को पार लगाती है राम कथा
सुखलिया में जारी श्री राम कथा में व्याख्याकार डॉ, गिरीशानंद ब्रह्मचारी ने कहा
इंदौर । मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन बड़ा अनुशासित और मर्यादित था। उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाये। वानर से लेकर निषाद राज, सुग्रीव, सुमंत और जटायु तक को गले लगाया। श्री राम के जीवन में दुःख ही दुख थे, लेकिन वे विचलित नहीं हुए और उस पर विजय हासिल की।
ये विचार शंकराचार्य मठ, इंदौर के अधिष्टाता, कथा व्याख्याकार डॉ, गिरिशानंद ब्रह्मचारी के है, जो उन्होंने सुखलिया में चल रही श्रीराम कथा में व्यासपीठ से कहे। राम भक्त मंडल की ओर से संगीतमय कथा का आयोजन किया जा रहा है।
गिरीशानंदजी ने आगे कहा कि श्री राम कथा को केवल सुने ही नही, उसे जीवन में भी उतारे और अपना जीवन सफल सफल बनाये। यह दुखो को तारती है और भव सागर को पार लगाती है।
प्रारंभ मे व्यास पीठ का पूजन पं, आर के शुक्ला, रामनरेशसिँह भदोरिया, जितेंद्र मिश्रा, रीतासिंह, राकेशसिँह चौहान, जयसिंह ने किया।
राजेंद्र सिंह गहरवार ने बताया कि श्री राम कथा रोजाना दोपहर 1 बजे से साय 4 बजे तक होती है। कथा मे माहिलाओ के बैठने की अलग से व्यवस्था की गई है।
- praveen joshi