शांतिनाथ भगवान की पहली बार शांति धारा संपन्न
श्री जी को लाडू समर्पित होंगे
धार निप फागुन सुदी तीज को मूलनायक शांतिनाथ भगवान संवत 1876 में धार मंदिर की में पंचकल्याण प्रतिष्ठा के बाद मूलनायक के रूप में विराजमान हुए थे समाज अध्यक्ष श्रेणीक गंगवाल संजय छाबड़ा बगड़ी ने बताया कि समाज के पुण्य उदय से आज मुनि संघ श्रमण श्री प्रनेय सागर जी प्रणव सागर जी सिद्ध सागर जी के पावन सानिध्य में धार के इतिहास में पहली बार मूल नायक शांतिनाथ भगवान की वृहत शांति धारा अभिमंत्रित मंत्रों के साथ मंगलवार को संपन्न हुई जिसका लाभ नरेश गंगवाल , विनय छाबड़ा सुरेश बड़जातया उत्तम काला परिवार को मिला तत्पश्चात गुरुदेव के आशीष वचन संपन्न हुए गुरुदेव ने बताया कि भगवान से आप अच्छे फल की की चाहत रखते हैं आपको भगवान को वही फल समर्पित करना चाहिए जो आप लौकिक व्यवहार में लेते हैं तभी आपको अच्छे फल की प्राप्ति होगी मुनी संघ दोपहर 3: 30 बजे भोजशाला के अवलोकन के लिए गए वहां पर हिंदू नेताओं ने भोजशाला का इतिहास गुरुदेव को बताया वहां से गुरुदेव ने मानतुंगगिरी क्षेत्र गये मानतुंगगिरी दर्शन पश्चात गुरुदेव संत भवन आए शाम को 48 दीपक के साथ भक्तामर स्तोत्र पाठ व आनंद यात्रा संपन्न हुई इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए मंदिर व्यवस्था प्रमुख योगेंद्र जैन बाबूजी ने बताया कि आज दिनांक 14 मार्च को जैन धर्म के 19 वे तीर्थंकर भगवान मल्लिनाथ जी का मोक्ष कल्याण महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाकर मनाया जाएगा गुरुदेव का विहार दोपहर में छोटा महावीर जी तीर्थ क्षेत्र की और होगा जानकारी मीडिया प्रभारी पारस जैन गंगवाल ने दी