जैनाचार्य विरागसागर महाराज का संलेखना पूर्वक हुआ समाधिमरण
जैन समाज मे शोक की लहर

जिन शासन का रवि हुआ अस्त
इंदौर।भारत गौरव राष्ट्रसंत बुंदेलखंड के प्रथम आचार्य श्री विराग सागर जी महा मुनिराज का जालना , महाराष्ट्र शहर के नजदीक देव मूर्ति ग्राम सिंह खेड़ा ,राजा रोड पर रात्रि 2:30 बजे संलेखना पूर्वक समाधि मरण हुआ। यह समाचार सुनकर पूरा जैन समाज हुआ संतप्त।
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष श्री राजकुमार जी पाटोदी एवं सतीश जैन ने बताया कि लगभग 10 वर्ष पूर्व दिगंबर जैन समाज, सामाजिक संसद, इंदौर गणचार्य जी के पूरे संघ को पथरिया से इंदौर विहार करवा कर लाया था। इसके साथ ही शहर के आसपास के क्षेत्र ऊन, बड़वानी के विहार में भी संसद की अहम भूमिका रही थी।
आपने इंदौर के दलाल बाग में 68 पिच्छियो के साथ चातुर्मास किया था । पूरे देश में आपने लगभग 400 जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की थी। आप बहुत ही सरल, सहज और वात्सल्य से भरपूर राष्ट्र संत थे। उनका इस तरह से जाना जैन समाज के लिए अपूरणीय छति है। Jainacharya Viragsagar Maharaj died
*पूज्य गणाचार्य श्री जी के चरणों में दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद की ओर से राजकुमार जी पाटोदी , सुशील पांड्या ,राजेंद्र सोनी, एम के जैन , अमित कासलीवाल, देवेंद्र सोगानी, सतीश जैन,ऋषभ पाटनी, दिलीप पाटनी सहित सभी पदाधिकारी अपनी हार्दिक विनयांजलि अर्पित करते हैं। Jainacharya Viragsagar Maharaj died
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जालना (महा.) में हुआ अंतिम संस्कार
दिगम्बराचार्य विरागसागर जी महाराज का जालना (महा.) के पास में 04 जुलाई की मध्य रात्रि को संलेखना पूर्वक समाधिमरण हो गया ।प्राप्त जानकारी के अनुसार बुंदेलखंड के प्रथम दिगंबराचार्य विराग सागर महाराज का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले में ग्राम पथरिया में 02 मई 1963 में श्रावक श्रेष्ठी कपूरचंद श्यामा देवी जैन के परिवार में हुआ था ।
आपका गृहस्थ अवस्था का नाम अरविंद जैन था । आपकी क्षुल्लक दीक्षा 02 फरवरी 1980 को वुढार जिला शहढोल में आचार्य श्री सन्मति सागर महाराज के करकमलों द्वारा हुई थी । आपको मुनि दीक्षा 09 दिसंबर 1986 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज के द्वारा प्रदान की गई ।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आचार्य श्री का 2024 का पावन वर्षायोग महाराष्ट्र के जालना में होना था, जिसके लिए वे अपने शिष्यों के साथ पद विहार कर रहे थे । 02 जुलाई को महाराष्ट्र के जालना के नजदीक देवभूति के ग्राम सिदखेड़ा में पदबिहार करते समय अचानक विराग सागर महाराज का स्वास्थ्य खराब हो गया ।
उन्होंने तुरंत संलेखना समाधि ग्रहण की और 03/ 04 जुलाई की मध्य रात्रि को 02.30 बजे इस नश्वर शरीर को त्यागकर देवलोक को गमन किया । उनकी समाधि की खबर सुनते ही जैन समाज में शोक की लहर दौड़ गई । अंतिम संस्कार के समय दर्शनों के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा । हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे ।
आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज ने अपने संयमी जीवनकाल में 350 से अधिक दीक्षाए प्रदान की । आपके दीक्षित मुनि, आर्यिकांए पूरे विश्व में अहिंसा, शाकाहार और जैन धर्म के सिद्धांतो का प्रचार प्रसार कर रहे हैं । आपने अनेकों पुस्तकों का लेखन किया, साथ ही अनेकों शास्त्रों की टीकाएं लिखी ।
मुरैना के मनोज जैन नायक के अनुसार आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज मुरैना की जैन समाज से विशेष स्नेह रखते थे । आपका अनेकोंवार मुरैना में आगमन हुआ । पूज्य गुरुदेव मुरैना को अपनी साधना स्थली कहा करते थे । पूज्य गुरुदेव के समाधिमरण से उनके भक्तों में शोक व्याप्त है । Jainacharya Viragsagar Maharaj died
source – satish jain