कोर्ट ने माना ये साफ है कि लीक हुआ है नीट यूजी का पेपर

Court accepts that it is clear that NEET UG paper has been leaked
Court accepts that it is clear that NEET UG paper has been leaked

एनटीए पेपर लीक वाले सेंटर्स की जानकारी दे, जिन स्टूडेंट्स को फायदा हुआ, उनके बारे में भी 10 जुलाई तक बताए; 11 को अगली सुनवाई

नई दिल्ली ।मेडिकल एंट्रेस परीक्षा नीट-2024 विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को लगभग 2 घंटे 20 मिनट तक सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एनटीए, सीबीआई, केन्द्र सरकार और याचिकाकर्ताओं को अलग-अलग निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई अब 11 जुलाई को होनी है।

सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये साफ है कि पेपर लीक हुआ है। सवाल ये है कि इसका दायरा कितना बड़ा है। ये समझना जरूरी है कि पेपर लीक कितना व्यापक है? सिर्फ दो लोगों की गड़बड़ी की वजह से पूरा एग्जाम कैंसिल नहीं किया जा सकता।

हम ये जानना चाहते हैं कि एनटीए और सरकार ने अब तक पेपर लीक के आरोपियों को पहचानने के लिए क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से पेपर लीक हुआ है तो ये जंगल में आग की तरह फैलता है।

सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार से पूछकर बताएं कि क्या हम साइबर फोरेंसिक विभाग के डेटा एनालिटिक्स यूनिट के जरिए पता नहीं लगा सकते है कि क्या पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है? क्या गलत काम करने वालों की पहचान करना संभव है?

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इस तरह हम उन छात्रों के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं, जिन्होंने गड़बड़ी कर फायदा उठाया है। अदालत 38 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही थी। इनमें से 34 याचिकाएं स्टूडेंट्स, टीचर्स और कोचिंग इंस्टीट्यूट्स ने, जबकि 4 याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने लगाई थी।

परीक्षा दोबारा कराना आखिरी विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि लीक होने के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए। कोर्ट ने पूछा कि ये छात्र कहां हैं? भौगोलिक तौर पर ये छात्र कहां कहां हैं? NEET UG paper

क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों का पता लगा रहे हैं और क्या हम लाभार्थियों की पहचान कर भी पाएं हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा को दोबारा से कराना सबसे आखिरी विकल्प होना चाहिए। मामले में जो कुछ भी हुआ, उसकी जांच देश भर के विशेषज्ञों की एक बहु-अनुशासनात्मक समिति से कराई जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पढ़ाई-लिखाई की सबसे प्रतिष्ठित शाखा से निपट रहे हैं। हर मध्यम वर्ग का व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे या तो चिकित्सा या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं। हम ऐसे लोगों की पहचान कैसे करेंगे, जिन्हें इस धांधली का फायदा हुआ है। क्या हम काउंसलिंग होने देंगे और अब तक क्या हुआ है?

कोर्ट ने दिए कई अहम निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने साइबर फोरेंसिक यूनिट को शामिल करने, एआई का उपयोग करके गलत काम करने वालों की संख्या का पता लगाने और उनके लिए फिर से परीक्षा की संभावना तलाशने के बारे में पूछा। कोर्ट ने सीबीआई को जांच की स्थिति बताते हुए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। NEET UG paper

कोर्ट ने एनटीए को निर्देश दिया कि वह बताए कि प्रश्नपत्र पहली बार कब लीक हुआ। वह प्रश्नपत्र लीक होने की घटना और 5 मई को परीक्षा आयोजित होने के बीच की समय अवधि के बारे में भी बताए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की।

5 मई को हुई थी नीट, 24 लाख छात्र बैठे थे

इस साल 5 मई को नीट परीक्षा हुई थी। 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर लगभग 24 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। लेकिन यह परीक्षा एग्जाम के पहले ही विवादों में आ गई थी। पेपर लीक और 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क देने के बाद कई छात्रों ने धांधली और गड़बड़ी का आरोप लगाया था। NEET UG paper

इसे लेकर कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। विपक्षी दलों ने संसद में यह मुद्दा उठाया। सरकार ने सफाई दी। इस बीच राज्यों के हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा छात्रों ने खटखटाया।

source -ems

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