रेपो दर पर सबकी नजर

तीन दिवसीय बैठक में नीतिगत रीपो दर की मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के संदर्भ में समीक्षा की जाएगी। बैठक में किए गए फैसलों की घोषणा शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर करने वाले हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि एमपीसी की बैठक में रीपो दर को फिर स्थिर रखे जाने का फैसला हो सकता है। मुद्रास्फीति की स्थिति और मौजूदा वैश्विक कारकों को ध्यान में रखते हुए एमपीसी रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रख सकती है। रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में रीपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला मई, 2022 में शुरू किया था।
नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का यह सिलसिला फरवरी, 2023 तक जारी रहा। इस दौरान रीपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि उसके बाद से आरबीआई की मौद्रिक नीति निर्धारण संबंधी सर्वोच्च इकाई एमपीसी ने रीपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली तीन द्विमासिक बैठकों में एमपीसी ने रीपो दर को 6.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखा है। रीपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों के लिये उधार देता है। इस दर में बदलाव होने से बैंकों को मिलने वाला धन महंगा या सस्ता होता है और उसका असर खुदरा बैंकिंग कर्जों पर दिखाता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘इस बार की मौद्रिक नीति में मौजूदा दर संरचना के साथ ही नीतिगत रुख के जारी रहने की संभावना है। इसकारण रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति अब भी 6.8 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। हालांकि सितंबर तथा अक्टूबर में इसमें कमी आने की उम्मीद है, लेकिन खरीफ की पैदावार को लेकर कुछ आशंकाएं कीमतें बढ़ा सकती हैं।
एक अन्य जानकार ने उम्मीद जाहिर की कि एमपीसी नीतिगत दर को स्थिर रखेगी। उन्होंने कहा, सितंबर के दूसरे पखवाड़े में नकदी में जो सख्ती देखी गई, वह जारी रहने की संभावना नहीं है। रियल एस्टेट कारोबारियों के निकाय नारेडको (नेशनल रियन एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजन बंदेलकर ने कहा, आरबीआई का उदार रुख जारी रहने की उम्मीद है।’ उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई ने पिछले काफी समय से नीतिगत दर को स्थिर रखा हुआ है, जिसका फायदा क्षेत्र को मिला है।

 

Source – EMS

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