आचार्य स्वयं पंचाचार का पालन करते हैं और शिष्यों से भी करवाते हैं- आ.विहर्ष सागर जी महाराज


इंदौर । मोदी जी की नसिया, इंदौर में चातुर्मास कर रहे आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज ने आचार्य उपाध्याय और साधुओं की जवाबदारी बताते हुए अपने प्रवचन में कहा कि
साधु – साधु के पास कोई जिम्मेदारी नहीं है, उन्हें केवल अपना ध्यान करना है। वे विषय और विषयों की आशा से मुक्त हैं।
उपाध्याय- जो पढ़ते-पढ़ते ज्ञानी हो गए, जिनका चिंतन अच्छा हो गया वो अब मुनियों को पढ़ाओं।
आचार्य- अरिहंतों के बाद आपका ही नंबर आता है। आपके पास संघ के साथ ही समाज को भी संभालने की जवाबदारी है। आप में नेतृत्व क्षमता होना चाहिए । मुनियों को गलती करने के पश्चात प्रायश्चित देने का अधिकार भी आपके पास ही है।
आचार्य स्वयं पंचाचार का पालन करते हैं और शिष्यों से भी करवाते हैं।
आचार्य श्री ने कहा कि संयम से अपनी आत्मा को सजाना है , तब आत्मा, परमात्मा बन जाएगी। ग्रंथो में जैसा लिखा है वैसा करोगे तो ही मोक्ष मिलेगा।
समाज के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आज प्रातः आचार्य विहर्ष सागर जी महाराज की पूजा मुनि श्री विजयेश सागर जी एवं मुनि श्री विश्व हर्ष सागर जी महाराज ने करवाई।
सभा के प्रारंभ में मंगलाचरण सागर से पधारे श्री राकेश जैन ने किया। आचार्य विराग सागर जी महाराज जी के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन दिल्ली से पधारे श्री रविंद्र जैन, पवन जैन भिंड से पधारे श्री संयम जैन एवं आगरा से पधारे श्री सुशील जैन ,अनिल जैन द्वारा किया गया।
सरिता- सतीश जैन का जन्म दिवस होने पर आचार्य श्री ने उन्हें विशेष आशीर्वाद दिया। चातुर्मास कमेटी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर श्री ऋषभ जैन , योगेंद्र काला, राकेश गोधा,मनोज सिंघई, आकाश पांड्या आदि विशेष रूप से मौजूद थे।
श्री जैन ने बताया कि आज दोपहर 3:00 बजे से तत्वार्थ सूत्र का वाचन, शाम 6:00 बजे से प्रतिक्रमण, सामायिक हुई ।

सतीश जैन (इला बैंक)
प्रचार प्रमुख

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