गिरनार जी सिद्ध क्षेत्र रक्षा संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सुझाव अवश्य पढ़ें ताकि केवल राजनैतिक चर्चाओं तक सीमित न रहकर जमीनी स्तर पर तीर्थ क्षेत्रों के लिए कार्य हो

➡️सोशल मीडिया पर आजकल केवल राजनैतिक चर्चा होती है लेकिन गिरनारजी बचाने के लिए गुजरात हाई कोर्ट में चल रहे केस में आगे की रणनीति के विषय मे अथवा सुप्रीम कोर्ट में नया केस लगाने के विषय मे कोई चर्चा नहीं होती

➡️गुजरात हाई कोर्ट में चल रहे केसेस में कितनी त्रुटियां हुई वो क्यों हुई ?

➡️गिरनारजी गुजरात में स्थित है लेकिन राजस्थान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकार बदल देंगे तो गिरनारजी बच जाएगा ये तर्क समझ से परे है क्योंकि गिरनारजी का विषय गुजरात सरकार के आधीन है उसमें अन्य राज्यों की सरकारें कैसे हस्तक्षेप कर सकती है ?

➡️ किसी भी राज्य या केंद्र सरकार में बदलाव कर दो तो भी गिरनारजी के कोर्ट केस बन्द नहीं होंगे और जो मामला कोर्ट में विचाराधीन है उसमें कोई सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती

➡️जब तक कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय जैन समाज के पक्ष में नहीं होता तब तक ये विवाद चलता ही रहेगा तो कोर्ट केस को शीघ्रता से आगे बढ़ाने की रणनीति होनी चाहिए

➡️कोई भी सरकार लोकल वोट बैंक के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करती इसलिए पंडों या किसी अन्य का कब्जा कानूनी कार्यवाही से ही हट सकता है किसी सरकार द्वारा नहीं

➡️जिस कांग्रेस को सत्ता में लाने की बात कुछ लोग कर रहे हैं उसके शासन में तो कब्जे की शुरुआत हुई और वर्तमान सरकार के शासन में वो अनवरत चलता रहा तो दोनों ही सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ और अकर्मण्य निकली है इसलिए ये सोचना कि फला सरकार आएगी तो सब ठीक हो जाएगा ये दिवास्वप्न की तरह है। उदाहरण है कि आज भी शिखारजी राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार अंतरराष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र घोषित है लेकिन झारखंड की जैन हितैषी सरकार ने अबतक उस नोटिफिकेशन को रद्द नहीं किया और केंद्र सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम के अनुसार केंद्र सरकार ने भी eco सेंसेटिव जोन में eco टूरिज्म के प्रावधान रद्द करने के लिए नया नोटिफिकेशन गैजेट में प्रकाशित नहीं किया।

➡️महेश गिरी ने जो बात इशारों में कही वही बात झारखंड की कांग्रेस समर्थित सोरेन सरकार के वर्तमान मंत्री लोबिन हेम्ब्रम ने सार्वजनिक मंच से हजारों आदिवासियों के सामने स्पष्ट कही थी कि जैन मुनि नग्न घूमते हुए दिखे तो मार देंगे और कर्नाटक में तो जैन मुनि के हत्या की घटना भी हो गई। तो कौनसी पार्टी अपनी सगी है ?

➡️समाज को अपनी कानूनी और जमीनी लड़ाई स्वयं लड़नी होगी किसी राजनेता से अधिक अपेक्षा नहीं रखें।

➡️क्षेत्र के लिए कुछ करना है तो कमेटियों का उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जो इतने दशकों से गिरनारजी के कोर्ट केस में ढिलाई से कार्य करती रही। जो 2004 से 5- 6 केसेस चल रहे हैं आज तक उसका पटाक्षेप नहीं हो पाया। हर बार नए रिट पेटिशन लगाए गए। कंटेम्प्ट पेटिशन जीतने के निकट होते हुए भी बंडीलाल के ट्रस्टी द्वारा withdraw किया गया। प्रारंभ में दत्तात्रेय की 4 इंच की मूर्ति चरण चिन्हों के पास रखने की अनुमति भी वहां अपने ही समाज ने दी। सुनने में ये भी आया कि बंडीलाल कारखाने ने 1960 में ही गिरनार की पांचवी टोक का दबाव में दत्तात्रेय ट्रस्ट को हस्तांतरण कर दिया था अग्रीमेंट बनाकर इसके भी तथ्य समाज के सामने आने चाहिए। बंडीलाल ट्रस्ट के ट्रस्ट डीड के अनुसार जब गिरनार जी की सभी टोंको की मालकियत ट्रस्ट के पास थी तो आज तक अदालत में हम मालकियत क्यों नहीं साबित कर पाए। क्यों अपने ही 250 यात्रियों के विरुद्ध बंडीलाल के ट्रस्टी कटारिया जी कार्यवाही करने का समर्थन करते हैं जिसकी वीडियो महेश गिरी धड़ल्ले से दिखाता है। बहुत अनुत्तरित प्रश्न है लेकिन इनकी जड़ तक कोई नहीं जाता बस राजनीति में अटके पड़े हैं।

➡️राजनीति तो गोम्मटगिरी और कुंडलपुर दुर्गा विसर्जन पर भी हुई लेकिन अंततोगत्वा उन्हीं क्षेत्रों की कमेटियों ने उसका खण्डन किया और गोम्मटगिरी का 50 वर्ष पुराना गुर्जरों से चल रहा विवाद वर्तमान सरकार के मंत्री के सहयोग से सुलझाया ऐसी जानकारी गोम्मटगिरी कमेटी के अध्यक्ष भरत मोदी जी ने दी।
➡️जबर्दस्ती किसी भी राजनीतिक पार्टी को अपने जैन समाज का दुश्मन नहीं बनाए क्योंकि सत्ता शाश्वत नहीं होती आज कोई पार्टी सत्ता में है कल कोई दूसरी होगी और किसी भी राजनैतिक पार्टी से दुश्मनी पूरे समाज को हानिकारक साबित होगी। इसलिए समाज को प्रत्येक राजनीतिक पार्टी से मध्यस्थता के संबंध रखने चाहिए ताकि किसीकी भी सत्ता हो अपने क्षेत्र और साधु एवं समाज के विपरीत कार्य न हो। कोई भी पार्टी किसी क्षेत्र पर कब्जा नहीं करती कब्जा लोकल वोट बैंक ही करता है और कोई भी पार्टी वोट बैंक के विरुद्ध कार्य नहीं करती ये सभी पार्टियों पर लागू होता है।

समाज को इन मुद्दों पर लक्ष्य केंद्रित करने की आवश्यकता है

1️⃣ गिरनारजी गुजरात हाई कोर्ट केस मैनेजमेंट।

2️⃣ गुजरात हाई कोर्ट में सही वकील की नियुक्ति

3️⃣ सुप्रीम कोर्ट में पुरातात्विक सबूत एवं Places of worship act के तहद नया पेटिशन लगाना

4️⃣ भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी एवं बंडीलाल कारखाना ट्रस्ट की जबाबदेही तय करना।

5️⃣ क्षेत्र के लिए चल रहे कोर्ट केसेस में अकर्मण्य कमेटी के पदाधिकारियों की बर्खास्तगी एवं नए समर्पित पदाधिकारियों की नियुक्ति

6️⃣केवल पैसों से संपन्नता के आधार पर कमेटी पदाधिकारी बनाना बन्द हो। जो व्यक्ति क्षेत्रों के लिए अनवरत कार्य कर सके पूरा समय दे सके उसको ही पदाधिकारी बनाया जाए। कुछ धनाढ्य पदाधिकारी अपने व्यापार में इतने व्यस्त रहते हैं कि वो क्षेत्रों के लिए समय ही नहीं दे पाते ऐसे लोगो को पदाधिकारी बनाने से ही सब समस्या हुई है।

7️⃣ कमेटियों को अपने वार्षिक गतिविधियों और विवादित क्षेत्रों के कोर्ट केसेस आदि का वार्षिक रिपोर्ट समाज के सामने रखना अनिवार्य करे जिससे समाज आगे की रणनीति बना सके। अधिकांश निर्णय पदाधिकारी स्वयं लेकर पार कर देते हैं और समाज के सुझाव नहीं लिए जाते जिससे भविष्य में क्षेत्रों का नुकसान होता है और धन का भी अपव्यय होता है।
इन बिंदुओं पर चर्चा करके ठोस निर्णय होने चाहिए तो क्षेत्र बचेंगे बाकी जिसको जितनी राजनीति करनी है कर लो उससे क्षेत्र बच जाएंगे ये दिवास्वप्न है क्योंकि सभी मुख्य क्षेत्र के बड़े विवाद वर्षों पुराने है और उस काल में दोनों ही पार्टियों की सत्ता रही है लेकिन विवाद और कोर्ट केस अनवरत चल रहे हैं।

Source – Social Media

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