पावन पर्व पर जैन सन्त अनशन की राह,सरकार को नही परवाह

वोट की ताकत है नही,धन की ताकत की सरकार को जरूरत नही


दिल्ली ऋषभ विहार में विराजमान परम पूज्य आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने दीपावली के पावन पर पर जैनों को गिरनार में दर्शन पूजन के अधिकार को लेकर दीपावली के पावन पर्व पर संघ सहित अनशन की घोषणा कर दी है ।जिसे लेकर संपूर्ण भारतवर्ष की जैन समाज व्यथित है।
ऐसे पावन पर्व जब जैन समाज चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2550 वां निर्वाण महोत्सव मनाएगी और भारतवर्ष की समस्त जनता पंच दिवसीय पर्व दीपावली को खुशियों के साथ मनाएंगे तो वहीं जैन संत और श्रावकों के द्वारा सामूहिक अनंशन कर सरकार को जगाने,चेताने का कार्य करेंगे।
पावन पर्व पर जैन संत अनशन की राह पर चल रहे हैं तो वहीं सरकार को कोई परवाह नजर ही नहीं आ रही है ना सरकार के द्वारा अभी तक किसी भी प्रकार की कोई आधिकारिक वार्ता की गई है और ना ही संतो को अनशन से रोकने हेतु निवेदन किया गया है।
मंथन,मनन और चिंतन कीजिए कि आखिर ऐसा क्यों? सीधा सा जवाब है कि हमारे पास वोट की ताकत नहीं है और धन की ताकत की सरकार को आवश्यकता नहीं है। हम एकजुट भी नहीं है और सरकार जानती है कि जैन समाज में जितना बिखराव है उतना किसी अन्य समाज में नहीं है। इनका एक कुशल नेतृत्व भी नहीं है नेतृत्वकर्ता का अभाव जैन समाज में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
हम क्यों सोचे और किस लिए सोचे, हमारा जीवन तो बड़ा आराम से और विलासिता के साथ कट रहा है ना धन की कमी है और ना ही हमारे पास बुद्धि बल की कमी है तो फिर हमें क्या आवश्यकता है जो भी कुछ करना है हमारे संत करें क्योंकि अपरिग्रह का सिद्धांत तो केवल संतों पर ही लागू होता है श्रावकों से इसका क्या लेना देना?
प्रश्न बहुत उमड़ घुमड़ रहे हैं किंतु जवाब केवल एक ही मिल रहा है की हम तो नए तीर्थ विकसित कर लेंगे, एक दो तीर्थ यदि चले भी जाते हैं तो उससे जैन समाज पर क्या फर्क पड़ जाता है? खैर ऐसा ही चलता रहा तो सब कुछ पुरातन नष्ट हो जाएगा। जैनत्व के वैभव को सुरक्षित, संरक्षित, संवर्धित और विकसित करना जैन श्रावकों की जिम्मेदारी है जिसके लिए मन वचन और तन तीनों से तैयार हो जाना चाहिए। क्षमा के साथ सादर जय जिनेंद्र।

News By – संजय जैन बड़जात्या कामां

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