दीपावली पूजन और दिन के लग्न मुर्हूत..

Diwali puja and ascendant auspicious time of the day..
Diwali puja and ascendant auspicious time of the day..

इस वर्ष महालक्ष्मी पूजन (दीपावली) का प्रमुख पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष चर्तुदर्शी रविवार में मान्य रहेगा। 12 नवंबर रविवार में कार्तिक चर्तुदर्शी तिथि दोपहर 2/45 मिनिट तक रहेगी उसके उपरांत सूर्यास्त से पहले ही अमावस्या तिथि आरंभ हो जाएगी। अत: इस वर्ष दीपावली का पर्व रविवार 12 नवंबर में ही मनाया जाएगा। स्वाती नक्षत्र में अमावस्या सौभाग्य योग में अमावस्या होना श्रेष्ठ माना गया है, जिसमें दुकानदारी करना, व्यापारिक लेने देन ज्ञार्नाजन, शिल्पकारी, चित्रकारी, कला कर्म, वाहन लेन देन संचालन करना आदि सभी कार्य उत्तम रहते है।

दीपावली पूजर और दिन के लग्न मुर्हूत…………….

अधिकांश व्यापारी अपने उद्योग धंधे व्यवसाय दुकानदारी में लक्ष्मी पूजन के लिए धनु लाभ श्रेष्ठ मानते है, क्योंकि लग्न का स्वामी गुरु शुभ गुरु होने से सबको सफलता में सहायक रहते है। इस वर्ष धनु लग्न प्रात: 9/12 बजे से शुरु होकर 11/21 बजे तक शुभ फल दायक रहेगा, ध्यान रहे लग्नेश गुरु पंचम स्थान में विराजमान है, जो इस लग्न में पूजन करने वालें होंगे। रविवार में पहला उद्वेग, दूसरा चर इसी प्रकार लाभ अमृत काल शुभ रोग और उद्वेग के चौघड़िया मुर्हूत भोगेंगे। उद्योग काल व रोग के चौघड़िया को छोड़कर सभी सिद्धप्रद माने जाएंगे। लाभ का चौघड़िया 9/21 से अमृत का चौघड़िया 9/42 से वर्तमान रहेगा, जोकि दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। मकर लाभ 11/21 से 13/05 तक रहेगी, जिसमें अमृत चौघड़िया मुर्हूत 12/03 बजे तक सर्व श्रेष्ठ माना जाएगा। शुभ चौघड़िया 13/24 से 14/34 बजे तक शुभ जाने। मकर और कुंभ लग्न का मालिक शनि गृह होता है, जिसमें ट्रांसपोर्ट, टूर एडं ट्रेवल, मनी एक्सचेंज, लोहा लकड़ी मशीनरी उद्योगों के मालिक दीपावली पूजन करते है। मीन लग्न 14:34 से 16/09 तक रहेगी, जिसमें रोग का चौघड़िया रहेगा। 16/2 से 16/38 तक मेष लग्न रहेगी, जिसमें राहु वर्तमान है। अत: पूजन से पूर्व राहु की पूजा कर लेनी चाहिए। सांयकालीन मेष लग्न प्रदोष श्रेष्ठ मानी जाएगी।

प्रदोष समय राजन, कर्तव्या दीप मालिका………..

प्रदोष काल में द्विजाचार्यो पंडितों द्वारा कलश पूजन, स्वस्ति वाचन, संकल्प कराकर, श्री गणेश महालक्ष्मी रिद्धी सिद्धी, इंद्र, वरुण, कुबेर भंडारी शक्तियों सहित ब्रम्हा, विष्णु, महेश, कुलदेवता स्थान देवता, सूर्यादि, गृह मंडल की पूजा अर्चना कराकर बहीखाता, कलम, दवात, रोकड़ और अत्याधुनिक उपकरण कम्प्यूटर, मोबाइल आदि का सविधि पूजन करना तथा कराने वालें उत्तरोत्तर लाभान्वित होंगे।

दीपावली पूजन और रात्रि के लग्न…………….

दीपावली को रात्रि बेला में 17/38 बजे से प्रारंभ होकर 19/35 बजे तक रहेगी, जिसमें शुभ की चौघड़िया तथा प्रदोषकाल श्रेष्ठ रहेगा, जोकि दीपावली पूजन के लिए उद्योग धंधे लोहे व्यापार, ट्रेवल, हार्डवेयर, इलेक्ट्रानिक दुकान, ट्रांसपोर्ट का कार्य करने व गृहस्थी के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगी। दीपावली स्वयं या योग्य द्विजाचार्यो से पूजन करवाना चाहिए, जिससे आप के ऊपर लक्ष्मी जी की कृपा साल भर बरसती रहे। मिथुन लग्न 19/35 से 21/49 बजे तक रहेगी, जिसे दीपावली पूजन में स्थायी प्रगति व नौकरी का कार्य करने वालों के लिए श्रेष्ठ होगी। कर्क लग्न रात्रि 21/46 से 24/07 रात बजे तक रहेगी, कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा सुख के स्थान में बैठा है। अत: इस समय पूजन करने वालों को वर्ष मध्य सुख का अनुभव करेंगे। सिंह लग्न 12 बजकर 7 मिनट के बाद प्रारंभ होगी, दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मुर्हूत काल निसिथ काल भी इसी समय के मध्य में रहेगा, जो कार्य सिद्ध के लिए सहायक माना जाएगा।
लक्ष्मी के भंडार की बड़ी अपूरब बात।
ज्यो खर्चे, त्यो-त्यों बढ़े, बिन खरचे घर जात।।
दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी जी हर एक के घर जाती है, जहां अच्छा लगता है वहां ही रुक जाती है, इसलिए मनुष्य अलंकारों से युक्त तथा पुष्प मालादि से सुशोभित आदि द्वारा सजाकर रखने चौक आदि के पूरक होने से माता प्रसन्न होकर उसके घर रुक जाती है और उसका मनोरथ पूर्ण करती है।

Source – EMS

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