आपकी आत्मा जिसमें भगवान बनने की शक्ति छिपी हुई है उसका अनावरण नहीं करते हो। – आ.विहर्ष सागर जी महाराज
इंदौर। जो चीज हमें दिखाई दे रही है जरूरी नहीं कि वह हमारी हितेषी ही हो, जो दिखता है वह बिकता है। आंखों को आकर्षण चाहिए, हमें ठगा गया है विज्ञापन का जमाना हो गया। धर्म का कोई विज्ञापन नहीं होता। जो चीज दिखती नहीं, उनसे अनजान हो गए हम, हमारी दृष्टि वहां तक जाती ही नहीं। मंदिर भी केवल दर्शक की तरह जा रहे हो। जहां जा रहे हो उसके बारे में ज्ञान होना चाहिए , ना तो भगवान को जानने का प्रयास किया ना ही स्वयं के विषय में भगवान को बताया। अज्ञानता का पर्दा बहुत बड़ा होता है। रोज हम आचार्य श्री जी के चित्र का अनावरण करवाते हैं, डोरी खींचने से गुरुदेव के दीदार हो जाते हैं। आज तक हम दूसरों को ही देखते रहे, हमारा आवरण नहीं हो पाया । आपकी आत्मा जिसमें भगवान बनने की शक्ति छिपी हुई है, आपने उसका अनावरण हीं नहीं किया । धर्म के नियम संयम किसी को अच्छे नहीं लगते ,क्योंकि उन्हें धर्म की महत्ता मालूम ही नहीं है। कोई धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ता है तो औरों को सहन नहीं होता, तुम बुरे कार्य करते रहो तो कोई ध्यान नहीं देगा। कबीर दास जी ने कहा था कि
मां शत्रु, पिता बैरी
संसार के बढ़ाने वाले कामों को मां-बाप भी नहीं रोकेंगे,यही संसार है गुणों को धारण करना है। जिनवाणी और ग्रंथ में क्या अंतर है ?जिनवाणी हमारी आंखें नहीं खोलेंगी। उक्त विचार मोदी जी की नसिया , इंदौर में चातुर्मास कर रहे आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहीं ।
आचार्य श्री ने कहा कि तीर्थ यात्रा पर तो जाते हो पर अपनी आत्मा में नहीं जाते। एक उम्र आने के बाद हमें टेंशन होना चाहिए की जन्म तो लिया था कल्याण करने के लिए लेकिन अभी तक कुछ किया नहीं। जीवन एक अवसर है ,यह नहीं कहा कि आप अपने कर्तव्यों का पालन मत करो। एक बार भगवान महावीर स्वामी से पूछा था कि आपने जन्म क्यों लिया, तो उन्होंने कहा था कि भगवान बनने के लिए । मनुष्य पर्याय भगवान बनने के लिए है। इस पर्याय को सार्थक कौन करेगा ? उन भावनाओं को खुद ही जन्म देना पड़ेगा।
गुरुदेव ने कहा कि
पुण्य की दुकान है आहार चर्या
यदि नवधा भक्ति पूर्वक एक ग्रास भी आपने संतो को दे दिया तो उस दिन के आपके सब पाप धुल गए।
धर्म का नशा, सबसे अच्छा नशा है
आपने कहा कि भगवान तो वीतरागी है , वे कुछ देते नहीं, संसार में जो कुछ भी चाहिए वह संतों से ही मिलेगा। यश कीर्ति फैलाना है तो साधु के साथ जुड़े रहो।
समाज के प्रचार प्रमुख श्री सतीश जैन ने बताया कि आज मुनि श्री विश्व हर्ष सागर जी महाराज के लोकिक जीवन के पुत्र श्री अभिषेक जैन आगरा से, प्रमोद जी – ममता जी जैन ग्वालियर से, अंकित- आयुषी जैन गाजियाबाद से एवं अशोक -सुधा जैन, विनोद – रवि जैन, अशोक कुमार सचिन जैन अहमदाबाद से आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने पधारें, उन्होंने आचार्य विराग सागर जी महाराज के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन भी किया। चातुर्मास कमेटी ने सभी का सम्मान किया।
इस अवसर पर समाज श्रेष्ठी , कमल काला ,सतीश जैन, रिषभ पाटनी , दिलीप लुहाड़िया , विपेश जैन, श्रीमती सरिता जैन, सरोज जैन, लता सोगानी सहित सैकड़ों समाज जन मौजूद थे।