सस्टेनेबल डेवलपमेंट से कम होगा कार्बन उत्सर्जन

आर्किटेक्ट् इंजिनियर की नेशनल कांन्फ्रेस का समापन

इंदौर। पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन कम करने की चिंता अभी तक अंतराष्टीय फोरम पर होती थी, लेकिन अब यह भारत के इंदौर जैसे शहर मे भी हो रही है, जो सुखद संकेत है। धरती का तापमान बढ़ रहा है, जो खतरे की घंटी है। इसलिए हमें पुन परंपरागत जीवन की ओर लौटना होगा तभी हम यू एन ओ द्वारा क्लाइमेट न्यूट्रल इकॉनामी के लक्ष्य को हासिल कर पायेंगे। जरूरत है लो कास्ट पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट किया जाये।

ये विचार मध्य प्रदेश ओधोगिक विकास निगम के एक्जुकेटिव डाइरेक्टर राजेश राठौर के है, जो उन्होंने आर्किटेक्ट् इंजिनियर की दो दिवसीय नेशनल कॉंफ़्रेस के सपापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप मे कहे। यह आयोजन द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजिनियर ने ब्रियलेंट कंवेशन सेंटर में किया गया था, जिसमें 100 आर्किटेक्ट इंजिनियर ने भाग लिया था। स्वागत उद्बोधन मे संस्था अध्यक्ष इंजीनियर आर पी गौतम ने कहा कि आज ऐसे निर्माण होने चाहिए जो सस्टेनेबल डेवलपमेंट के दायरे में आते हो।

इंडस्ट्री ऑफ प्लानिंग के सेक्रेटरी जनरल वी पी कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हमे सस्टेनेबल सिटी बनाना होगी, जिसमें ट्रांसपोर्ट, शहरीकरण ,ग्रीन बिल्डिंग, वेस्ट मैंनेजमेंट पर काम करने की आवश्यकता है। इस दिशा मे सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है। वेस्टेज कम से कम हो और उसका निष्पादन भी होना जरूरी है। अध्यक्षीय उद्बोधन में सुभाषित बनर्जी ने कहा कि सस्टेनबल डेवलपमेंट पर हम सबको मिलकर काम करना होगा अन्यथा नुक्सान होना निशिंत् है।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड अधिकारी अनिल कुमार पंडित ने कहा कि आर्किटेक्ट् को रेट्रो फ़िटिंग पर ध्यान देना चाहिए यानि जो पुरानी मशीन हैं,उसमें एक नया उपकरण डालकर उसे और बेहतर बनाया जाए । इससे वहनीयता बढ़ जाती है।
इंजिनियर सचिन पालीवाल ने कहा कि 1991 में एसजीएसआईटीएस के विधार्थियों को जो केफेटेरिया बनाकर गिफ्ट दिया था, उसे पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर उसी मटेरियल से ही उसे तेयार किया था ,यह रिसायक्लिग्स का एक अच्छा उदाहरण है।
आर्किटेक्ट प्रियंका अग्रवाल ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में बढ़ते सूखे पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि अगर अभी भी हमने ध्यान नहीं दिया तो स्थिति गंभीर हो जायेगी। अत जरूर है कि सरकार इस क्षेत्र में नया इको सिस्टम बनाये। क्षेत्र मे विशेष प्रकार की घास लगाई जाए। साथ ही राजस्थान का विशेष पक्षी ग्रेट इंडियन बस्तर्ड की प्रजाति को बसाया जाये, क्योंकि इसकी संख्या दिनों दिन, कम हो रही है। चेयरमैन संदीप देब ने भी विचार रखे।
अतिथि स्वागत आर पी गौतम, डॉ, मनिता सक्सेना, राजीव आर्य, इंजिनियर रमेश चौहान, डॉ, शिल्पा त्रिपाठी ,आर पी गौतम ने किया। मीडिया प्रभारी प्रवीण जोशी ने बताया कि कॉंफ़्रेस मे अतिथि वक्ताओ ने अपनी बात पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन से रखी । सवाल जवाब भी हुए।कार्यक्रम का संचालन आर्किटेक्ट कामिनी वड्नोरे और राहुल डोंगरे ने किया। आभार माना डॉ, शिल्पा त्रिपाठी ने। कार्यक्रम मे डॉ, सांवरलाल शर्मा,आर्किटेक्ट डॉ, रुचिका शर्मा, वैशाली शर्मा, अनुग्या शर्मा, प्रतिक अहिरवार सहित बड़ी संख्या मे आरिकीटेक् और इंजिनियर उपस्थित थे।

News By _ Praveen Joshi

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