इंदौर में एक मंदिर ऐसा भी, न प्रसाद न चढ़ावा, हनुमान दर्शन की एकमात्र शर्त लिखना होगा 108 बार जय श्रीराम। कण-कण से आती है राम नाम की सुगंध
इन्दौर/जावरा (राजकुमार हरण) आपने हमारे देश में भगवान राम के कई मंदिर देखे होंगे, लेकिन मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित श्रीराम का मंदिर अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर का नाम “अपने राम का निराला धाम” है। शहर के पूर्वी क्षेत्र के वैभवनगर (कनाडिया) में स्थित निरालाधाम कई वजह से निराला है। यहां 200 फीट उंचे स्तंभ पर स्थित 51 फीट के हनुमानजी की मूर्ति भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। मूर्ति के कांधे पर राम और लक्षमण बैठे हुए है। बताया जाता है कि यह मुद्रा तब कि है जब अहिरावण राम-लक्षमण को पाताल ले गया था और केसरीनंदन उन्हें सुरक्षित अपने कांधे पर बैठाकर वापस लाए थे। भगवान के इस विशेष स्वरूप के दर्शन के लिए भक्त को न प्रसाद लाने की आवश्यकता है न चढ़ावे की। बस हनुमान दर्शन के लिए लाल स्याही से 108 बार जय श्रीराम लिखना होता है। लिखने के लिए कागज व कलम भी यहीं से दिये जाते हैं। अन्य मंदिरों की तरह यहां भी ट्रस्टी के रूप में 7 पदाधिकारी और 11 सदस्यी कार्यकारिणी समिति है। लेकिन इसमें कोई मनुष्य नहीं है। हर जिम्मेदारी किसी न किसी देवी-देवता के पास है। अध्यक्ष की जिम्मेदारी अंजनी पुत्र हनुमान और संरक्षक की भूमिका कौशल्यानंदन भगवान श्रीराम को दी गई हैं। इस तरह 11 हजार वर्गफीट के परिसर में तीन दर्जन से अधिक मंदिर हैं, निरालाधा में ईश्वरीय सत्ता चलती है। मंदिर के गुंबद, दीवार और कोने-कोने में लाल रंग से जय श्रीराम लिखा गया है। यहां लाखों भक्तों ने करोड़ों बार राम नाम लिखा है। इन पत्रकों को मंदिर की नींव, दीवार, मूर्तियों के भीतर रखा गया है। अन्य पदाधिकारियों में सचिव भगवान भोलेनाथ, कोषाध्यक्ष कुबेर, सुरक्षा अधिकारी यमराज, लेखा-जोखा अधिकारी चित्रगुप्त, वास्तुविद् भगवान विश्वकर्मा है।अन्य मंदिर की तरह पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्यों की सूची भी दीवार पर चस्पा की गई है जिस पर देवी-देवताओं के नाम लिखे हैं। मंदिर का निर्माण 1990 में वैभवनगर में शुरू हुआ था।
रामायण का प्रत्येक पात्र पूजनीय सुजापुर जावरा में जन्मे
संचालक प्रकाशचंद बागरेचा (जैन) कहते है कि हनुमान के इस निरालेधाम का हर काम हनुमान की कृपा से हो रहा है। मंदिर के हर कोने में राम नाम लिखा है। चौबीस घंटे हनुमान चालीसा का पाठ चलता रहता है। यहां न कोई आयोजन होता है और न ही प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जाता है। मंदिर में रावण, कुभकर्ण, मेघनाथ, विभीषण, कैकयी, मंथरा,शुर्पणखा की मूर्तियां है। सबकी पूजा होती है। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां पर भगवान राम और हनुमान के साथ-साथ रावण, कुंभकरण और मेघनाथ की भी पूजा होती है। मंदिर में रावण की मूर्ति इसलिए लगाई गई क्योंकि यहां माना जाता है कि रावण महापंडित और ज्ञानी थे इसलिए वो हमेशा ही पूजनीय रहेंगे। वहीं इस मंदिर में त्रिजटा, शबरी, कैकयी, मंथरा और सूर्पणखा की मूर्तियां स्थापित हैं और पास में अहिल्या, मन्दोदरी, कुन्ती, द्रौपदी और तारा की भी मूर्तियां लगाई गई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में किसी भी तरह का चढ़ावा चढाना मना है। इसलिए यहां कोई दानपेटी भी नहीं लगाई गई। कहते है मंदिर में चढ़ावे की जगह अगर श्रद्धालु 108 बार श्रीराम लिख दें तो उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।