तीर्थों को कमाई का साधन मत बनाओ : हार्दिक जैन 

Don't make pilgrimages a source of income: Hardik Jain
Don’t make pilgrimages a source of income: Hardik Jain

पुण्य का उपार्जन और पापों का नाश करने का उत्तम स्थल यानी हमारे तीर्थों। पार्श्व दादा का अनमोल शाश्वत तीर्थ श्री शिखरजी। ये तीर्थ के लिये क्या कहूँ ? शब्द नहीं है । यहाँ किये हुये पुण्य के कार्यों पापों का नास कर देते है । लेकिन अब क्या हो गया ? सब से अच्छी धर्मशाला कौनसी ? एसी रूम , ज़्यादा से ज़्यादा सुविधाए , कौनसी धर्म शाला में ? हमने ये सोचा कि ज़्यादा से ज़्यादा सुविधा देंगे तो युवा पीढ़ी आयेगी ? लेकिन हमने ये नहीं सोचा कि हम ये पाप करने का साधन दे रहे है ? भले पैसा रूम का ज़्यादा लगे लेकिन जहाँ सुविधा ज़्यादा मिलती है वो धर्मशाला में चलो । संजीव ने कहा कि अब धर्मशाला में धर्म कहा है ?
एसी के कारण रूम से बाहर कितना निकलना ? कहा है तीर्थों में जाकर पुण्य उपार्जन करने की क्रिया ?
यदि मेरे जैसा कोई व्यक्ति कहे कि धर्म शाला का रूम का किराया बहुत ज़्यादा है ? तो कोई ट्रस्टी कहते है कि आप होटल में जाते हो तो कितना रूपिया देते हो ? एक आम यात्री का ऐसे ट्रस्टी को जवाब है कि आप धर्मशाला का नाम बदलकर होटल का नाम रख दो ? आज कल तीर्थो की यात्रा करनी महँगी हो गई है ? धर्म शाला का किराया देखो ? अभी मैं एक तीर्थ में रात को १२ बजे ठंडी में पहुँचा , रूम का किराया वो भी सादा रूम का ८०० रूपिया।

तीर्थों को कमाई का साधन मत करो ये पुण्य बांधने का परमात्मा ने बताया हुया अनमोल स्थान है । ट्रस्टी पैसा इकट्ठा कर के क्या करते है ? क्यों अपने भाई को ज़्यादा से ज़्यादा तीर्थों में आकर पुण्य करने का अनमोल अवसर ना दे और आप भी भागीदार क्यों ना बने ? आज तीर्थों में ट्रस्टी बनने चुनाव में करोड़ों का खर्चा , क्यों ? ऐसी क्या कमाई है ट्रस्टी बनकर ? जरा कोई हमे भी तो बताओ ? तीर्थों में ट्रस्ट के ट्रस्टी को अलग विआईपी रूम , क्यों ? दान देने वाला दान इस लिये नहीं देते की ट्रस्टी मज़ा करे ? ट्रस्टी बने हो तो परम कृपालु परमात्मा के यात्रिको कोई तकलीफ़ ना पड़े वो ध्यान रखो और यात्रिको, तीर्थ की सेवा पूजा करके खूब पुण्य कमाये ये ही उच्च भावनाओं के साथ

  • हार्दिक जैन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button