ब्रह्मांड के देवता आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को अर्पित की विनयांजलि
Acharya Shri Vidyasagar Ji Mahara

इंदौर! संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की विनयांजलि सभा का भव्य आयोजन मंगलवार को प्रातः 9:00 बजे से गांधी हाल में पूज्य आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में आयोजित किया गया। यह सभा श्री दिगंबर जैन समाज सामाजिक सांसद, कीर्ति स्तंभ, इंदौर फेडरेशन इंदौर रीजन दिगंबर जैन परवार समाज, दयोदय चैरिटेबल ट्रस्ट एवं मुनि सेवा संघ द्वारा आयोजित की गई थी।
विनयांजलि सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज ने कहा कि हम आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए दीक्षा लेते हैं। पंचम काल में मोक्ष नहीं है। आचार्य विहर्ष सागर जी महाराज ने कहा कि मुनियों का एक ही लक्ष्य होता है, बोधी समाधि ,परिणाम शुद्धि। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज अंतिम तीन दिनों से उपवास कर रहे थे, वे केवल ज्ञान रूपी अमृत का रसपान ही कर रहे थे।
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उन्होंने बहुत ही समतापूर्वक समाधि ली। वे भावी तीर्थंकर हैं। आपने कहा कि आचार्य श्री ऐसे गुणी थे, कि हम जिंदगी भर भी उनके गुणों का गुणगान नहीं कर सकते। उन्होंने देश भर से शिष्य बनाएं और एकता का परिचय दिया । उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके आदर्श पर चलें और सभी एक हो जाएं।
उन में आचार्य शांति सागर जी की सरलता ,कुंदकुंद देव स्वामी का समयसार , ज्ञान सागर जी महाराज का ज्ञान और तपस्वी सम्राट सन्मति सागर जी की तपस्या निहित थी, वे जैन जगत के सर्वश्रेष्ठ चर्या मुनि थे।
श्रीमती छवि डोशी के मंगलाचरण के पश्चात आचार्य श्री जी के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन श्री राजकुमार जी पाटोदी, नरेंद्र जैन ‘पप्पा जी ‘, एम के जैन, राजेश जैन लारेल, अशोक डोशी आदि ने किया।आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज जी को शास्त्र जी भेंट करने का सौभाग्य श्रीमती रानी डोशी, सतीश जैन मनोज बाकलीवाल ,आदि को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राकेश विनायका ,सांसद श्री शंकर जी ललवानी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेणु जैन ,पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, हंसमुख गांधी, मुनि सेवा संघ के श्री राहुल जैन स्पोर्ट्स, पार्षद राजेश उदावत, सचिन जैन, डी के जैन, (डीएसपी,रिटा.) , कमल अग्रवाल, मनीष नायक, दीपक जैन टीनू, सुदीप जैन , राकेश गोधा , योगेंद्र काला, मनोहर झांझरी सहित हजारों समाज जन उपस्थित थे।
अतिथियों ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, धरती के देवता थे, श्रमण संस्कृति के रवि थे, जहां कदम रखते थे वो जगह तीर्थ बन जाती थी, उन्होंने 505 दीक्षाएं दी, जो एक रिकॉर्ड बन गया।* वे कहते थे, इंडिया नहीं भारत बोलो, स्वदेशी अपनाओ, अंग्रेजी नहीं हिंदी बोलो। उनकी देह अब नहीं है किंतु देशना हमेशा याद रहेगी, हम कभी उन्हें भूला नहीं पाएंगे । कार्यक्रम का सफल संचालन अनुराग जैन ने किया। उक्त जानकारी प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने दी।
सतीश जैन (इला बैंक)