ईमानदारी की मिसाल ,कुशल प्रशाशक और सौम्य नेता थे सेठी

प्रकाशचंद जी सेठी की जन्म जयंती पर विशेष

राजनीति के शिखर पुरुष प्रकाशचन्द सेठी की 103 वीं जन्म जयंती पर …….(19 अक्टूम्बर )

भारतीय राजनीति में ईमानदारी कर्मठता , और समर्पण के स्तम्भ के रूप में स्व. प्रकाशचन्द सेठी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा । राजीनीतिक मूल्यों और आदर्शो के लिए श्री सेठी आदर और सम्मान के साथ कई दिलो पर राज करते हे ….। 19 अक्टूम्बर 1920 को झालरा पाटन (राज.) में जन्मे श्री सेठी का लम्बा राजनितिक सफर अंतिम समय तक नैतिक मूल्यों , स्वच्छ राजनीति और आदर्शो पर कायम रहा । नेहरू मंत्रिमंडल से लेकर , राजीव गांधी मंत्री मण्डल तक केंद्र की राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे सेठी जी ने अपने ईमानदार व्यक्तित्व को काजल की कोठरी में रह कर भी श्वेत बनाये रखा ..कहा जा सकता है कि ईमानदारी की मिसाल थे श्री सेठी ।नेहरू मंत्री मण्डल में भारी उद्योग मंत्री , इंद्रा गांधी मंत्री मण्डल में देश के ग्रह मंत्री के साथ साथ कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बेदाग़ रहे । मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री , केंद्र सरकार में पेट्रो केमिकल एवं फर्टिलाइजर मंत्री , रेलवे , वित्त , रक्षा , आवास , योजना , जैसे महत्वपूर्ण मन्त्रालयो में सेठी ने अपनी कार्यकुशलता और प्रशाशनिक दक्षता को बखूबी सिद्ध किया । 1967 में इंदौर लोक सभा से होमी दाजी को पराजित कर इंदौर का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री सेठी 1989 तक इंदौर लोक सभा का प्रतिनिधत्व करते रहे …इस बीच उज्जैन व् महू से विधानसभा जित कर प्रदेश के मुख्य मंत्री भी रहे । देश , प्रदेश और शहर को अनगिनत सौगाते सेठी जी ने दी … ऐसी कई सौगाते हे जो उनकी दूरदृष्टि और दृढ़ निश्चय के चलते अनमोल सिद्ध हुई । देवास नोट प्रेस इसका ज्वलन्त उदहारण हे … जिस नोट प्रेस की स्थापना नासिक में स्वीकृत हो गयी थी उसे उन्होंने अपनी दूरदृष्टि और कार्य शैली से देवास में स्थापित कराने में सफलता अर्जित की । देवास , पीथमपुर और सांवेर इंडस्ट्रियल एरिया की स्थापना , इंदौर से लगभग 50 से 60 किलोमीटर दूर से नर्मदा को इंदौर लाने का श्रेय एकमात्र सेठी को हे जिन्होंने अदम्य साहस और कार्य के प्रति जिद के चलते मुश्किल कार्य का बेडा उठाया और उस जमाने में जब आधुनिक मशीनों और तकनीकी सिमित थी तब उस कार्य को कर दिखाया …।मांगलिया ऑइल डिपो , कालेज ऑफ़ काम्बेड , राउ केंट , एशिया की सबसे बड़ी कालोनी सुदामनागर जैसी स्थापनाएं सेठी जी की देन रही । जब प्रदेश में डाकुओं का खोफ चरम स्तर पर था तब मुख्यमंत्री रहते हुए कुख्यात डाकू माधव सिंह , मोहर सिंह सहित अनेक डाकुओं का आत्म समर्पण कराया ..। वर्ष 89 तक जब तक सेठी जी इंदौर के सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व करते रहे उन्होंने इंदौर की कपड़ा मिलो को बंद नही होने दिया …। सामाजिक , धार्मिक , शैक्षणिक , खेल के क्षेत्र में भी सेठीजी का योगदान अतुल्य रहा …गुजराती कालेज के पीछे की कई एकड़ जमीन , सन्मति स्कूल , आय के डी सी कालेज भूमि , महावीर ट्रस्ट भूमि , अष्टा पद बद्रीनाथ की जगह जैसे अनेक सौगाते सेठी जी की कार्यकुशलता , प्रशाशनिक दक्षता और समाज सेवा के प्रति निष्पक्ष , निस्वार्थ समर्पण बयां करता है …. ।

भारतीय राजनीति में ईमानदारी की ऐसी मिसाल जो सदियों तक याद की जाएगी…सत्ता के शीर्ष पर रहकर भी जिस पर विरोधी भ्रष्टाचार का एक आरोप आखरी समय तक न लगा सके….उस जमाने मे जब कांग्रेस का एक क्षत्र राज था.. ऐसे समय पार्टी के कोषाध्यक्ष पद पर रहे..जिन्होंने पद की गरिमा का ईमानदारी के साथ निर्वहन किया…। जिनके पास अंतिम समय मे न खुद का मकान था और न ही कोई सम्पदा…ऐसी ईमानदारी की मिसाल थे श्री सेठी ।

इतनी बेशकीमती सौगाते देने वाले , शहर को देश की राजनीति में स्थापित कर पहचान देने वाले ईमानदार सेठी की प्रतिमा भले ही शहर के किसी चौराहे पर स्थापित नही हो पाई हो किन्तु भारतीय राजनीति के देदित्यमान नक्षत्र की तरह उनकी प्रेरणा , आदर्श हमेशा लोगो को अपनी रोशनी से सरोबार करती रहेगी । वही फायदा उठाने वाली संस्थाए भी उनकी प्रतिमा उस भूमि पर जो सेठी जी की देन है …पर लगाने में बगले झांक रही है …।
परंतु सेठीजी का सिद्धान्त तो सदा ये ही रहा की
नेकी कर दरिया में डाल…।
विराट व्यक्तित्व को सादर नमन ।🙏🏼

मनीष अजमेरा

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