Inflation: महंगाई एक महीने पहले के मुकाबले तीन गुना बढ़ गई
खाने-पीने की चीजों से लेकर साबुन-तेल जैसे डेली यूज के सामानों के दाम भी बढ़े

नई दिल्ली महंगाई के मोर्चे पर अप्रैल का महीना मिलाजुला रहा। खुदरा महंगाई की दर में राहत मिली तो थोक महंगाई एक महीने पहले के मुकाबले तीन गुना बढ़ गई। वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को आंकड़े जारी कर बताया कि अप्रैल में थोक महंगाई की दर 1.26 फीसदी पहुंच गई, जो मार्च में 0.53 फीसदी थी। इस तरह एक महीने के भीतर ही थोक महंगाई की दर में 0.79 फीसदी की बढ़ोतरी दिखी है। यह महंगाई का 13 महीने का उच्चतर स्तर है। Inflation increased
इससे पहले मार्च 2023 में थोक महंगाई दर 1.34 प्रतिशत थी। खाने-पीने की चीजों की कीमत बढऩे से महंगाई बढ़ी है। वहीं इससे एक महीने पहले मार्च 2024 में ये 0.53 प्रतिशत रही थी। वहीं फरवरी में थोक महंगाई 0.20 प्रतिशत और जनवरी में 0.27 प्रतिशत रही थी। जारी आंकड़ों के अनुसार महंगाई आउट ऑफ कंट्रोल हो गई है। जिससे आम आदमी परेशान हैं और कंपनियां मालामाल हो रही हैं।
खाद्य महंगाई दर मार्च के मुकाबले 4.65 प्रतिशत से बढक़र 5.52 प्रतिशत हो गई। रोजाना की जरूरतों के सामानों की महंगाई दर 4.51 प्रतिशत से बढक़र 5.01 प्रतिशत हो गई है।
फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -0.77 प्रतिशत से बढक़र 1.38 प्रतिशत रही। मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर -0.85 प्रतिशत से बढक़र -0.42 प्रतिशत रही। कॉमर्स मिनिस्ट्री की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अप्रैल, 2024 में खाने-पीने की चीजें महंगी होने और ईंधन (कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस) के दाम बढऩे का असर थोक महंगाई पर दिखा। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट और खाने-पीने के मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट के दाम बढऩे से भी थोक महंगाई की दर बढ़ी है। अप्रैल में थोक महंगाई 13 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इससे पहले मार्च, 2023 में थोक महंगाई की दर 1.34 फीसदी थी।
फूड इन्फ्लेशन ने दिया झटका
आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में फूड आर्टिकल की महंगाई दर मार्च के 6.88 फीसदी के मुकाबले बढक़र 7.74 फीसदी पहुंच गई। सब्जियों की कीमतों में ज्यादा उछाल दिखा और इसकी महंगाई दर 23.60 फीसदी हो गई, जो मार्च में सिर्फ 19.52 फीसदी थी। ईंधन की महंगाई दर अप्रैल में 1.38 फीसदी रही जो मार्च में शून्य से 0.77 फीसदी नीचे थी। थोक महंगाई ज्यादा होने से मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट की लागत बढ़ जाती है और इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है। थोक महंगाई का ज्यादा असर मेटल, केमिकल, प्लास्टिक और रबर जैसे प्रोडक्ट पर होता है, क्योंकि इससे मैन्युफैक्चरिंग की जाती है और लागत बढऩे की वजह से खुदरा दाम भी बढ़ जाता है, जिससे आम आदमी पर खुदरा महंगाई का बोझ आ जाता है।
आलू-प्याज की थोक कीमतों में इजाफा
अप्रैल महीने में प्याज की कीमतों की वृद्धि दर 59.75प्रतिशत रही जो मार्च महीने में 56.99प्रतिशत थी। वहीं आलू के मामले में कीमतों की वृद्धि दर 71.97प्रतिशत रही, मार्च महीनें में यह 52.96प्रतिशत थी।
एक साल पहले से तुलना करें तो उस दौरान प्याज की कीमतों में 5.54प्रतिशत की नरमी आई थी, वहीं आलू की कीमतों में 30.56प्रतिशत का इजाफा हुआ था। खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई दर सालाना आधार पर 5.52प्रतिशत बढ़ी, मार्च महीने में यह 4.7प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
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मासिक आधार पर मार्च महीने के 0.95प्रतिशत की तुलना में इसमें 1.94प्रतिशत का इजाफा हुआ। सरकार के अनुसार अप्रैल महीने में थोक महंगाई दर में इजाफा मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, बिजली, क्रूड पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, उत्पादित खाद्य पदार्थों और अन्य उत्पादित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण है।
क्रूड पेटोलियम के थोक भाव भी बढ़े
अप्रैल 2024 में क्रूड पेटोलियम की थोक महंगाई दर पिछले साल के 1.64 प्रतिशत के मुकाबले बढक़र 4.97 प्रतिशत पर पहुंच गईं। प्राथमिक वस्तुओं की थोक महंगाई दर अप्रैल महीने में बढक़र 5.01 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीनें में 4.51 प्रतिशत थी। प्राथमिक वस्तुओं के अंतर्गत खाद्य पदार्थों, सब्जियों और खनिजों की कीमतें आती हैं। Inflation increased
खुदरा महंगाई दर में आई नरमी
विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में 0.42 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पिछले महीने में इसमें 0.85 प्रतिशत की गिरावट आई थी। ईंधन और बिजली की कीमतों में मार्च में 0.77 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले 1.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इससे पहले सांख्यिकी मंत्रालय ने सोमवार को खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी जारी किए, जिसके अनुसार खुदरा महंगाई दर सालाना आधार पर 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर आ आ गई, जबकि पिछले महीने में यह 4.85 प्रतिशत थी।
Source – EMS