आखिर भाजपा के साथ मोदी भी हारे

After all Modi also lost along with BJP
After all Modi also lost along with BJP

आम चुनाव के नतीजे आने से पहले मैंने कहा था कि ये चुनाव 400 पार का नहीं बल्कि आर-पार का है। आज 4 जून 2024 को आये नतीजे ये प्रमाणित कर रहे हैं की मेरा अनुमान गलत नहीं था। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी इस बार अकेले बहुमत हासिल नहीं कर सके । 400 पार का नारा तो दूर की बात रही। भाजपा 370 धारा के सहारे प्रति बूथ 370 वोट बढ़कर अकेले दम पर 370 सीटें जितने के लिए खून पसीना बहाया था।

देश में नयी सरकार भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन की बनेगी या कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन की, ये आज मै नहीं कहने वाला। आज मै सिर्फ इतना कहता हूँ कि निवर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को देश की जनता ने ख़ारिज कर दिया है। भाजपा को जी कुछ हासिल हुआ है वो मोदी जी के नाम या चेहरे की वजह से नहीं बल्कि उन नेकरधारियों के श्रम की वजह से हासिल हुआ है जिन्हें नतीजे आने से ठीक पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा ने कहा था कि भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है।

देश के अभूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनेगी यी नहीं ये भाजपा और भाजपा के सहयोगी दलों को तय करना है। देश की जनता ने अपना मत दे दिया है कि उसे मोदी जी का न चेहरा देखना और न उनकी गारंटियों की उसे जरूरत है। इस चुनाव में मोदी जी हारे सो हारे बल्कि हिंदुत्व और सनातन की दरियादिली भी हारी। मोदी जी ने इस खासियत को संकीर्णता में बदलने की कोशिश की थी। कांग्रेस के राहुल गांधी की मोहब्बत की दूकान का शटर नीचे नहीं गिरा । उनकी दूकान खूब चली। 2024 के जनादेश ने भाजपा और मोशा की जोड़ी को पुन : मूषक बनने पर विवश कर दिया।

आम चुनाव में नतीजे अप्रत्याशित आते रहते हैं लेकिन वे इतने अप्रत्याशित नहीं होते की उत्तर प्रदेश जैसे बुलडोजर संहिता वाले राज्य में ही मतदाताओं ने बुलडोजर चला दिया। भाजपा की दाढ़ से ज्यादा मोशे की दाढ़ में सत्ता का खून लग चुका है इसलिए भाजपा और मोशा आसानी से सत्ता छोड़ने वाले नहीं है। वे चंद्र बाबू नायडू के साथ ही वे किसी भी क्षेत्रीय दल के साथ गठजोड़ कर सकते हैं। मुझे निवर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति पूरी सहानुभूति है ,क्योंकि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। वे कामयाब अभिनेता है। वक्ता हैं, बहुरूपिये हैं ,मदारी हैं। उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है। लेकिन वे पंडित जवाहर लाल नेहरू बनते-बनते रह गए। चुनाव नतीजों ने बता दिया कि उनकी लोकप्रियता सातवें आसमान को नहीं छू पायी है। मुझे लगता है कि आम चुनाव के नतीजों के बाद अब एक बार फिर भाजपा की चाल,चरित्र और चेहरा फिर से बदलेगा। भाजपा को और संघ को ये करना ही पड़ेगा । भाजपा के रणनीतिकार यदि ऐसा नहीं करेंगे तो आप देखेंगे कि आने वाले दिनों में भाजपा की हालत ठीक वैसी ही होगी जैसी पिछले दशक में कांग्रेस की हुई थी।
वर्ष 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के अलावा देश के अनेक क्षेत्रीय दलों ने कुछ खोया नहीं है बल्कि हासिल ही किया है। ओडिशा की बीजू जनता दल इसका अपवाद है। भाजपा को न दो-दो मुख्यमंत्रियों को जेल में डालने कोई लाभ नहीं मिला। भाजपा को पंजाब में कुछ नहीं मिला । वहां कांग्रेस फिर से अंकुरित हो गयी। भाजपा का नुक्सान दिल्ली में भी हुआ और पंजाब में भी। लेकिन आम आदमी की भूमिका देश का राजनैतिक माहौल बदलने में कम नहीं हो जाती। बिहार में भले ही राजद अपेक्षित परिणाम नहीं दे सके लेकिन उनका हौसला आईएनडीआईऐ के काम आया। Modi

नयी सरकार में कौन प्रधानमंत्री होगा या नहीं ये अलग मुद्दा है ,लेकिन ये साफ़ हो गया है कि देश मोदी जी मनमानी यानि तानाशाही से फिलहाल बच गया है। देश का संविधान बच गया है । अल्पसंख्यकों का आरक्षण बच गया। देश का 20 करोड़ मुसलमान बन बच गया। देश का भाईचारा बच गया। देश मंदिर -मस्जिद के विवाद से बच गया। अब भाजपा को राम का नहीं कृष्ण का आसरा लेकर भविष्य की राजनीति करना पड़ेगी। अपना नेता बदले बिना भविष्य की राजनीति नहीं कर सकती। भाजपा यदि माननीय नरेंद्र मोदी के नाम पर अड़ी रही तो भाजपा का भट्टा बैठ जाएगा। भाजपा ने पिछले दस साल में भाजपा ने जिस तरह से आपरेशन लोटस और आपरेशन झाडू चलाया उससे भाजपा को लाभ होने के बजाय नुक्सान हुआ। Modi

अगले 48 घंटे में देश की राजनीति का ऊँट किस करवट बैठेगा कोई नहीं बता सकता। मै भी नहीं बता सकता। लेकिन ये तय है कि भाजपा के नेतृत्व में यदि नयी सरकार बनती है तो उसकी उम्र और शक्ति पहले जैसी नहीं होगी। भाजपा की जो दुर्दशा आज हुई है उससे ज्यादा दुर्दशा कांग्रेस की अतीत में हो चुकी है। तमाम विसंगतियों कि बावजूद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए जाहिर है कि राष्ट्रपति सबसे पहले भाजपा और उसके नेतृत्व वाले गठबंधन को सरकार बनाने का निमंत्रण देगीं। Modi मुमकिन है की तोड़फोड़ में माहिर भाजपा आखिर तक हार न माने और सरकार बनाने लायक संख्या जुटा ले ,लेकिन भाजपा की सरकार अब न 2029 का सपना पूरा कर पायेगी और न 2047 का भारत बना पाएगी। क्योंकि अब नयी सरकार में मोदी जी की गरज पहले जैसी नहीं होगी। वे प्रधानमंत्री बनेगें या नहीं ये भगवान जानता है ,लेकिन मै ये जानता हूँ कि अब मोदी जी अविनाशी नहीं रह पाएंगे। उनके अवतार को आज नहीं तो कल चुनौतियाँ मिलेंगी। Modi

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जब आप ये आलेख पढ़ रहेंगे होंगे तब तक अंतिम चुनाव परिणाम आ चुके होंगे। इसलिए जो कुछ बदलेगा वो आज नहीं बल्कि अगले 48 घंटे में बदलेगा। नयी सरकार अब देश का अतीत नहीं बदल पायेगी । भूगोल नहीं बदल पाएगी ,अर्थशास्त्र नहीं बदल पायेगी ऐसे में भविष्य कैसे बदलेगी कहना कठिन है। ये चुनाव परिणाम इस बात के भी द्योतक हैं की इस देश में न कोई पप्पू है और न कोई शाहजादा और न उसकी भाषा नक्सलियों की भाषा है। विपक्ष के हर नेता की भाषा देश की जनता समझती है। यदि राहुल की भाषा नक्सलियों जैसी होती तो वे भी उसी तरह ख़ारिज कर दिए जाते जिस तरह मोदी जी को खारिज किया गया है।

नयी सरकार में जो भी प्रधानमंत्री बने उसे हमारी और से अग्रिम शुभकामनायें। नई सरकार से एक ही अपेक्षा है कि वो देश को उस तरह से न हाँके जैसे की माननीय मोदी जी हाँक रहे थे। मोदी जी भी यदि सचमुच तीसरी बार प्रधानमंत्री बनें तो अपने आपको बदल लें। यही उनके हित में है। उनकी पार्टी कि हित में है । उनके गठबंधन कि हित में है। क्योंकि इस देश में न तानाशाही कि लिए गुंजाईश है और न हिटलरशाही के लिये । यहां लोकशाही ही चलेगी । यहां गांधीवाद ही चलेगा। यहां मंदिर बनाकर जनता की आँखों में धूल नहीं झोंकी जा सकती। ये बात खुद अयोध्या ने ही प्रमाणित कर दी है। राम जी ने भी भाजपा की तरफ से मुंह मोड़ लिया है। Modi

इस आम चुनाव में बीजद भी हारी और बसपा भी ,लेकिन समाजवादी पार्टी आगे बढ़ी है । राजद बढ़ी है। कांग्रेस आगे बढ़ी है। एनसीपी और शिवसेना [ठाकरे ग्रुप ] भी आगे बढ़ा है देश कि तमाम राजाओं ने जहाँ की भाजपा की डबल इंजिन की सरकारें हैं ने भी भाजपा को अस्वीकार कर दिया है। दिल्ली ने जरूर भाजपा का साथ दिया। इसके लिए दिल्ली को साधुवाद देना चाहिए। साधुवाद तो ओडिशा को भी देना चाहिए क्योंकि यहां भाजपा कि प्रवक्ता संविद पात्रा ने मोदी जी की तुलना में भगवान जगन्नाथ को छोटा बता दिया था ,लेकिन लगता है की भगवान जगन्नाथ ने भाजपा को माफ़ कर दिया। इस चुनाव में सबसे बड़ी बात ये हुई की गोदी मीडिया कि चेहरे पर सबसे करारा तमचा पड़ा। गोदी मीडिया कि तमाम एक्जिट पोल औंधे गिर गए । Modi
@ राकेश अचल
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