अपनी बात- वोट किसे दिया, जरूरी ये कि क्यों दिया
कल लोकतंत्र के महापर्व में आपने भी अपनी आहूति दे दी। वोट डाला। इसके लिए करीब 20 दिनों से आपको 9 विधानसभा सीटों के 92 प्रत्याशी रिझाने की कोशिश कर रहे थे। प्रचार के नए-नए तरीकों से आपको ये संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं। कई राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए इंदौर आए। रोडशो किया, सभाएं ली। लेकिन एक बात साफ है कि आपने जिसे वोट देने का सोच लिया था, उस पर इन प्रचार के तरीकों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आपने तय कर लिया था कि वोट किसे देना है। लेकिन एक सवाल अहम है। आपने वोट जिसे भी दिया हो लेकिन सवाल ये है कि क्यों दिया? क्या सोचकर दिया? क्या आपने अपने मोहल्ले-कालोनी की समस्या को ध्यान में रखकर वोट दिया या फिर आपने ये सोचा कि एक विधायक के जिम्मे गंदगी साफ करवाना या सडक़ बनवाना नहीं है बल्कि वो हमारे प्रदेश के लिए नीतियां-योजनाएं बनाए और ऐसी कोशिशों को समर्थन दे। या फिर ये सोचा कि हमारा विधायक राज्यसभा का सदस्य चुनता है और राज्यसभा में कई विधेयकों को पास करने में सदस्यों की कम संख्या से दिक्कत आती है तो वहां संख्या बढ़ाई जाए ताकि देश और देश के प्रधान की अहमियत दुनियाभर में बनी रहे और बढ़े। ये सवाल ही वोटिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। दरअसल, वोट देना रस्म अदायगी नहीं है बल्कि पूरे पांच साल के लिए हमारी अस्मिता की रक्षा की प्रश्न है। आपने क्या सोचा और क्या नहीं सोचा, ये अलग बात है लेकिन महत्वपूर्ण है कि क्या आपने सही सोचा? आपके द्वारा दिए गए वोट के नतीजे 3 दिसम्बर को आएंगे तब तक आप सोच-विचार करें कि आपने जिसे भी वोट किया उसे क्यों किया?
-ख्रबरदार
………………………….अपनी बात
वोट किसे दिया, जरूरी ये कि क्यों दिया
कल लोकतंत्र के महापर्व में आपने भी अपनी आहूति दे दी। वोट डाला। इसके लिए करीब 20 दिनों से आपको 9 विधानसभा सीटों के 92 प्रत्याशी रिझाने की कोशिश कर रहे थे। प्रचार के नए-नए तरीकों से आपको ये संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं। कई राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए इंदौर आए। रोडशो किया, सभाएं ली। लेकिन एक बात साफ है कि आपने जिसे वोट देने का सोच लिया था, उस पर इन प्रचार के तरीकों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आपने तय कर लिया था कि वोट किसे देना है। लेकिन एक सवाल अहम है। आपने वोट जिसे भी दिया हो लेकिन सवाल ये है कि क्यों दिया? क्या सोचकर दिया? क्या आपने अपने मोहल्ले-कालोनी की समस्या को ध्यान में रखकर वोट दिया या फिर आपने ये सोचा कि एक विधायक के जिम्मे गंदगी साफ करवाना या सडक़ बनवाना नहीं है बल्कि वो हमारे प्रदेश के लिए नीतियां-योजनाएं बनाए और ऐसी कोशिशों को समर्थन दे। या फिर ये सोचा कि हमारा विधायक राज्यसभा का सदस्य चुनता है और राज्यसभा में कई विधेयकों को पास करने में सदस्यों की कम संख्या से दिक्कत आती है तो वहां संख्या बढ़ाई जाए ताकि देश और देश के प्रधान की अहमियत दुनियाभर में बनी रहे और बढ़े। ये सवाल ही वोटिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। दरअसल, वोट देना रस्म अदायगी नहीं है बल्कि पूरे पांच साल के लिए हमारी अस्मिता की रक्षा की प्रश्न है। आपने क्या सोचा और क्या नहीं सोचा, ये अलग बात है लेकिन महत्वपूर्ण है कि क्या आपने सही सोचा? आपके द्वारा दिए गए वोट के नतीजे 3 दिसम्बर को आएंगे तब तक आप सोच-विचार करें कि आपने जिसे भी वोट किया उसे क्यों किया?
-ख्रबरदार
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